हर जिलन में कोनऊ न कोनऊ जघा में धरना प्रदर्शन होत हे। चाहे ऊ केन्द्र स्थिर की मांगन खा लेके होय जा फिर राज्य स्थिर की मांगन खा लेके होय। आखिर का कारन हे कि जनता की आवाज सरकार तक नई पोहोच पाउत हे। जीसे जनता आपन आवाज सुनायें खे लाने अनशन धरना करे खा मजबूर हो जात हें। का सरकार जनता की आवाज नई सुने चाहत हे जा फिर जिले के कर्मचारी सरकार तक नई पोहचाउत हें। जीसे आम आदमी आपन समस्या सुनायें खे लाने अनशन धरना करे खा मजबूर हो जात हंे।
हम बात करत हें महोबा जिला में लेखपालन ने जोन धरना कर ज्ञापन मुख्य मंत्री खा भेजो हे। बात जा हे कि अगर कोनऊ कर्मचारी धरना करत हे तो ऊमें ज्यादा नुक्सान आम जनता को होत हे। लेखपालन के धरना करे से आम जनता आपन खसरा खतौनी ओर जमीन नाप खा लेखपालन के चक्कर काटत हें। हर महीना के वाले पेहले ओर तीसरे हफते पड़े वाले समाधान दिवस में राजस्व विभाग के जुड़ी दरखासे ज्यादा आउत हें। ई बात से साफ नजर आउत हे कि सरकार खा ओर ऊखे कर्म चारियन खा जनता की परेशानी से कोनऊ मतलब नइयां। जभे एक जुट होके आम जनता जा फिर कर्मचारी बेठ जात हें तो अधिकारियन खा आपन काम बनायें खे लाने पोहोच के अगांऊ की कारवाही करे खा भरोसा देत हें ओर ऊमें सरकार भी ऊखी समस्यन को कोनऊ न कोनऊ जबाब देत हे।
आखिर का करन हे कि जनता की समस्या को जबाब धरना प्रदर्शन के बाद मिलत हे।
अनशन करें खे बाद काय मिलत जवाब
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