जिला सीतामढ़ी के सदर अस्पताल में पोषण पुनर्वास केन्द्र (एन.आर.सी.) चल रहा है। यहां छह माह से पांच वर्ष तक के अतिकुपोषित बच्चों के इलाज के लिए उन्हें दस-पंद्रह दिन रखा जाता है। केन्द्र के लिए प्रति माह तीन लाख अड़सठ हज़ार रुपए बजट के रूप में मिलते हैं।
केन्द्र में इलाज के लिए आए सौदपुर प्रखण्ड के गांव हिरदेव पट्टी के किरण देवी, रून्नीसैदपुर प्रखण्ड के रेखा देवी, बेला के सहीना ने बताया कि आशा, आंगनवाड़ी की मदद से हम अपने कुपोषित बच्चों को यहां लेकर आ पाए।
वैदेही पोषण पुनर्वास केन्द्र के प्रोजेक्ट मैनेजर जयचंद्र कुमार ने बताया कि यह 30 सितम्बर 2011 को यह केंद्र शुरू हुआ। लेकिन 14 सितम्बर 2012 को किसी कारण से बंद हो गया था।
फिर 24 फरवरी 2014 से इ.कार्ड संस्था सारण के द्वारा शुरू किया गया। तब से आज तक दो सौ बानवे बच्चों का इलाज हुआ है। मां या घर से आए अन्य लोगों को घरेलू उपचार की भी जानकारी दी जाती है। लड़कों के मुकाबले लड़कियों में कुपोषण ज़्यादा होता है। यह घर में लड़कियों के साथ भेदभाव को दर्शाता है। ठीक होकर घर गए बच्चों को दोबारा पंद्रह दिन बाद जांच के लिए बुलाया जाता है।
बच्चे को पहला आहार मां का दूध दिया जाता है। सेहत में सुधार के साथ उन्हें हलुआ, खिचड़ी वगैरहा दिया जाता है। पुर्नावास केंद्र में बच्चे के साथ आई मां को यात्रा भत्ते के रूप में रोज सौ रुपए मिलते हैं। तीन वक्त का खाना मिलता है। ठीक होने के बाद दोबारा फालोअप के लिए बुलाए गए बच्चे के साथ आई मां को आने जाने का किराया मिलता है।