नई दिल्ली। 16 मई को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के अक्षरधाम मंदिर पर हुए हमले के छह आरोपियों को रिहा कर दिया। इनमें से तीन लोगों को फांसी की सज़ा सुनाई गई थी। साथ ही कोर्ट ने गुजरात पुलिस को ठीक से जांच पड़ताल ना करने पर फटकार भी लगाई।
गुजरात की राजधानी गांधीनगर के अक्षरधाम मंदिर पर साल 2002 में दो लोगों ने हमला किया था। घटना में तीस लोग मारे गए और लगभग अस्सी लोग घायल हुए थे। दोनों हमलावरों को पुलिस ने उस ही रात मुठभेड़ में मार गिराया। हमलावरों को आतंकवाद गुट ‘लश्कर-ए-तयबा’ और ‘जैश-ए-मुहम्मद’ से जोड़ा गया। इसके बाद 2003 में गुजरात पुलिस ने छह लोगों को आतंकवादियों की मदद करने और षड्यंत्र रचने के आरोप में गिरफ्तार किया।
मुहम्मद सलीम जिन्हें उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी, उन्होंने बताया कि गुजरात पुलिस ने उन के साथ मारपीट करने के बाद उन से यह तक पूछा था कि वो कौन से आतंकवादी हमले में आरोपी बनना चाहते थे। कयूम, जिनको फांसी की सज़ा हुई थी, उनका भी कहना है कि उन्हें ज़बरदस्ती फंसाया गया था। मामले की जांच करने वाले गुजरात पुलिस के एक अफसर जी.एस. सिंघल खुद इस समय इश्रत जहां नाम की लड़की को फजऱ्ी मुठभेड़ में मारने के आरोप में जेल में बंद हैं।
अक्षरधाम मंदिर हमले में आरोपी रिहा
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