कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास,
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास,
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त,
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त,
दोनों आए घर के अंदर कई दिनांे के बाद,
धुआं उठा आंगन से ऊपर कई दिनों के बाद,
चमक उठीं घर भर की आंखें कई दिनों के बाद,
कौवे ने खुजलाई अंाखें कई दिनों के बाद।
कवि- नागार्जुन