क्या आपको डकैतों की कहानियाँ सुनने में मजा आता है? अगर हां, तो आज हम भी आपको चित्रकूट के एक खौफनाक डकैत ददुआ की कहानी सुनाते हैं। ददुआ का असली नाम शिवकुमार पटेल था। पर डकैत बनने के साथ ही उसका नाम भी शिवकुमार से ददुआ हो गया। ददुआ कैसे डकैत बना इस बारे में लोगों का कहना हैं कि आज से चालीस साल पहले बाइस साल का शिवकुमार चित्रकूट के रैपुरा में एक बड़े जमींदार जगन्नाथ के घर गया और उसके पैर छूकर बंदूक की दो गोलियां उसकी कनपट्टी पर मार दी। तब से शिवकुमार से ददुआ बन गया और ददुआ ने अपने पिता की मौत का बदला ले लिया। इस तरह शुरु हुई ददुआ के आतंक की कहानी।
चित्रकूट के लोग ददुआ को अच्छा भी कहते हैं और बुरा भी। वह गरीबों का मददगार था और जो उसके विरोध में खड़ हो जाए उसके लिए सबसे बड़ा खलनायक।
ददुआ का आतंक उत्तर प्रदेश से मध्यप्रदेश तक फैला था। 200 डकैती और अपहरण के साथ 150 कत्ल करने वाले ददुआ ने पाठा क्षेत्र में तीस साल राज किया। पाठा क्षेत्र गरीबी, बेरोजगारी और भुखमरी जैसी समस्या के कारण पिछड़ा इलाका है।
आप ददुआ के दहशत की कहानी सुनेंगे तो आपका दिल दहल जाएगा। मानिकपुर के लोधौहां गांव के प्रधान जिमिदार की ददुआ ने आंखे चाकू से निकाल दी। इस कहर की वजह ददूआ की पुलिस से मुखबिरी करने का शंक होना था। जिमीदार के छोटे भाई सिरपंची कहते हैं, “ददुआ ने मेरे भाई को पहले बहुत मारा और पूछा कि क्या उसने पुलिस से शिकायत करी थी? मेरे भाई ने बार-बार मना ही किया। उसके बाद ददुआ ने मेरे भाई की दोनों आंखे निकाल दी।”
जिमीदार के परिवार वालों ने इस हत्या की कोई जानकारी पुलिस को नहीं दी क्योंकि उस समय ददुआ से कोई दुष्मानी नहीं लेना चाहते थे।
इस ही गांव के देवनारायण और जयनारायण की ददुआ ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। आज 80 साल की गुजरतिया इन दोनों हत्याओं की गवाह है। वह आज भी इस घटना को याद करके फफककर रोती है। गुजरतिया के दिल में उस घटना का डर आज भी बना हुआ है। वह उस घटना को ठीक से बता भी नहीं पाती हैं। गुजरतिया की बहू ऋतू बताती हैं कि ददुआ ने सिर्फ एक शंक के आधार पर मेरे दोनों ससूरों को गोली से भून दिया था।
ददुआ का कहर इस इलाके में अभी लोगों के दिलों में हैं। इस तरह के दहषत ददुआ पुलिस के हाथों न पकड़ने के लिए आजमता था कि लोगों ने दिल में उसका कहर बना रहे और कोई भी उसकी मुखबिरी नहीं करे। पर 2007 में लोगों के दिलों में खौफ पैदा करने वाला ददुआ पुलिस के हाथों मारा गया।
ददुआ तो मारा गया पर उसका खौफ अभी भी इस इलाके में है। आज उसके भाई बालकुमार पटेल और बेटा वीर सिंह चित्रकूट की राजनीति में बड़ा नाम रखते हैं। उन्होंने फतेहपुर के नरसिंहपुर कबराहा गांव में ददुआ का एक मंदिर भी है और अब ददुआ लोगों के द्वारा पूजा जाता है।
रिपोर्टर- मीरा जाटव और मीरा देवी
06/01/2017 को प्रकाशित