खबर लहरिया राजनीति व्यापम के गवाहों की सुरक्षा या मज़ाक?

व्यापम के गवाहों की सुरक्षा या मज़ाक?

(फोटो साभार: PTI)

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भोपाल, मध्य प्रदेश। व्यापम यानी व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड घोटाले को सामने लाने वाले लोगों को धमकियां दी जा रही हैं। हमले करवाए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश के भोपाल जि़ले में बड़े पद पर बैठे नौकरशाह ने इस घोटाले को सामने लाने वालों में से एक प्रशांत पांडेय को अपने केबिन में बुलाकर कहा कि गोली बाएं से घुसेगी, दाएं से निकल जाएगी। भेजे के अंदर जितना भरा है बाहर आ जाएगा, समझ में आया? ऐसी ही धमकी इस मामले को सामने लाने वाले दूसरे व्यक्ति आशीष चतुर्वेदी को मिली। रिटायर पुलिस अधिकारी और अब भारतीय जनता पार्टी के नेता हरि सिंह यादव ने खुले आम कहा कि आशीष गंभीर नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहें। नेताओं, नौकरशाहों और पुलिस की घटिया साठगांठ का नतीजा इस घोटाले ने तो कई कानूनों की धज्जियां उड़ा दी हैं।

मुखबिरों यानी घोटाले के प्रत्यक्षदर्शी या फिर गवाहों की सुरक्षा की जि़म्मेदारी प्रशासन द्वारा न लेना मुखबिर सुरक्षा कानून को कुछ न समझना जैसा है। इस कानून के तहत माना जाता है कि गवाहों को सुरक्षा देना जांच का हिस्सा है। लेकिन मध्य प्रदेश में जिस तरह से गवाहों पर हमले हो रहे हैं धमकियां मिल रही हैं उससे साफ है कि राज्य सरकार को इस कानून की परवाह नहीं है। हालत यह है कि प्रशांत पांडेय ने अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए राज्य छोड़ दिया है। पैंतिस साल के पांडेय राज्य पुलिस में डिजिटल फोरेंसिक एक्सपर्ट के पद पर थे। इस मामले के महत्व पूर्ण गवाह और इसका खुलासा करने वाले आशीष चतुर्वेदी पर चैदह बार हमले हो चुके हैं। उन्हें पुलिस की सुरक्षा मिली है। मगर इन दिनों यह एक चुटकुला बना हुआ है। आशीष चतुर्वेदी साईकिल से चलते हैं और सुरक्षा मिलने के बाद गार्ड उन्हें आगे बैठाकर साईकिल चलाता है।