खबर लहरिया औरतें काम पर मनुवाद, हिंदुत्व और ब्राह्मणवाद के खिलाफ 5 हजार महिलाओं का हल्ला-बोल

मनुवाद, हिंदुत्व और ब्राह्मणवाद के खिलाफ 5 हजार महिलाओं का हल्ला-बोल

देश-भर से 5 हजार महिलाएं जिनमें अलग जाति-धर्म, पेशे, विकलांग महिलाओं ने मनुवाद, हिंदुत्व और ब्राह्मणवाद के खिलाफ सावित्रीबाई फुले के 120वी स्मृति दिवस पर एकजुट होकर विरोध किया। देश में बढ़ती विषमता के खिलाफ चलो नागपुर नारे के साथ 10 मार्च को महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, आन्ध्रा, तेलांगाना, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल और बिहार से महिलाएं एकजुट हुई। सावित्रीबाई फुले की स्मृति दिवस पर इस कार्यक्रम का आयोजन करने के पीछे उनका जातिवादी,  पितृसत्ता के खिलाफ बोलने और दलित, महिलाओं को शिक्षित करने के प्रयास था।

इस प्रदर्शन में 5 हजार महिलाओं ने देश में बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ गीत, नृत्य, कला, कविता, रंगमंच और भाषण के माध्यम से अपनी बेबाक बात रखी। चलो नागपुर कार्यक्रम की शुरुआत संविधान चौक से बाइक रैली से हुई। “महिला शक्ति जिंदाबाद”, “नहीं सहेंगे, नहीं सहेंगे”, “जय भीम”, “महिला मांगे आजादी” जैसे कई नारों का उद्घोष किया गया।

बाइक रैली के बाद इन्दौरा मैदान में 5 हजार महिलाएं एकत्रित हुई। देश- भर से आई अलग जातियों, धर्म, विकलांग, समलौंगिक- ट्रांसजेंडर, सेक्स वर्कर, छात्राओं ने मनुवाद, ब्राह्मणवाद और हिन्दुत्ववाद के खिलाफ एक साथ मिलकर आरएसएस के गढ़ नागपुर से उन्हें चुनौती दी।

विरोध के बिन्दु इस तरह थे-

  • देश में विचारों की अभिव्यक्ति पर अंकुश लगाने की दमनकारी नीतियों के खिलाफ।
  • जाति, वर्ग, धर्म, समुदाय, रंग, यौनिकता, लिंग, शारीरिक योग्यता, काम और उम्र के आधार पर महिलाओं के साथ अन्याय के खिलाफ।
  • ट्रांसजेंडर लोगों को काम और शिक्षा से दूर रखने वाली व्यवस्था के खिलाफ।
  • धारा 377 और शादी के बाद होने वाले बलात्कार के खिलाफ।
  • दलितों के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ।
  • गो हत्या और धर्म परिवर्तन के विरोध के कायदे के खिलाफ।
  • किसानों को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करने वाली परिस्थितियों के खिलाफ।

कार्यक्रम में रखी गई मांगे-

  • सभी को सम्मान, न्याय, काम और संसाधनों पर समान अवसर देना।
  • महिला आरक्षण को 33 प्रतिशत से 50 प्रतिशत करना।
  • समलौंगिक, ट्रांसजेंडर और क्वीयर लोगों को सुरक्षा देने वाले कानून का निर्माण।

इस कार्यक्रम के अंत में महिला सम्मान, समानता और आजादी के लिए आगे भी लड़ाई जारी रखने के साथ मनुवाद, ब्राह्मणवाद और हिंदुत्व के खिलाफ सामूहिक संर्घष का ऐलान किया।

कार्यक्रम के आयोजकों में अभिन्यां कांवले, अजिता राय, अनिता घई, बिटटू कोर्तिक कोनडिटा, छाया खोब्रागडे, दुर्गा झा, एलिना हारो, हसिना खान, जया शर्मा, किरन देशमुख, लता प्रतिभा, मुधुकर, माधवी कुकरेजा, मनिशा बंगाड, मंजुला प्रदीप, मारिया सेशू, मोनिशा बहल, निषा शीडें, निवेदिता मेनन, प्रदन्य बागडे, रजनी तिलक, रिनुपरना, संगीता मनोजी, संदयाली अरूना थे।