खबर लहरिया झाँसी झांसी के खैलार की खदान है खतरनाक, फिर क्यों यहां मज़दूरी करते हैं लोग?

झांसी के खैलार की खदान है खतरनाक, फिर क्यों यहां मज़दूरी करते हैं लोग?

जिला झांसी, ब्लाक बबीना में कम से कम पच्चीस खदाने हें।जी में खेलार की खदान में तीन मौते भी हो गयी ।और सबसे बड़ी हैरानी की बात तो जा हें के जे तीन मौत के बारे मे कोऊ को कछु पतों भी नईया।ना तो सरकार को न पुलिस को न खनिज बिभाग में।कितऊ भी इस बात का कोई पता नईया के खैलार की खदान में तीन मौते हो गई।
खैलार कि खदान में काम करबे बाले नारायण पाल ने बताई के खदान में ब्लास्टिंग को भी काम होत और गाडी की भराई भी होत।जो बाहार माल जात तो गाडी लोड होती।और पत्थर की तुराई और जी सी बी को काम भी होत।और जासे आदमियन को लाभ भी हें।और नुकसान भी हें।अगर ब्लास्टिंग होत तो अगर खदान में कोऊ हें के अगल बगल कोऊ हें के कोनऊ जानवर हें।तो पत्थर उचकत तो लगवे को डर लगत।और लाभ जो हें के अगर आदमी बेरोजगार हें।तो अपनो काम करके पेट तो भर लेट।और जा काम में रूपजा भी ज्यादा मिलत और पत्थर को काम हें तनक मनक तो लगतई रत।
चुन्नी लाल ने बताई के खदान को काम तो जिन्दगी और मौत से खेलबो हें।सब कछु जानत हें फिर भी काम करबे जात।खदान में पे से कोऊ आदमी गिर जात सरक जात तो बो कामई पत्थर को हें तो तनक में लग जात।
माता दीन ने बताई के करत रत सो आदत पर जात तो डर नई लगत।और मजबूरी में भी करने परत।हम और जब ब्लास्टिंग करत तो बत्ती लगात टोपी धरत तो भी हम ओरन को न तो तम्बू देत न हेलमेट मिलत।एसे ही करत रत।
सुरेखा ने बताई हमाय आदमी गड्डा चलात ते सो गड्डा चलाबे गये सो मुड़ी में चोट लग गयी ती सावन के महीना में। मयंक ने बताई के मोटर को बटन दबा दाओ तो सो बई से हो गयी।रामसिंह प्रजापति ने बताई के इते कम से कम डेढ़ सौ खदाने हें।अगर कोऊ को कछु हो जात तो हे ई पईसा दे देत।और बस मामला ख़त्म कर देत।कोऊ को कछु पतो नई चलत।
आर बी सिंह खनिज अधिकारी ने बताई के हम काम ग्वालियर में करत जो ग्वालियर में विजिट ऑफिस हें बा में भी करत।हम लोग मदद भी देत अगर अचानक में कोऊ को लग जाये तो।और सबसे कत के हेलमेट लगा के काम करो। हेलमेट बराबर जरुरी रत तम्बू पहनात और अगर कुछ हो जात तो।अगर खनिज बिभाग वाले जात हें।और पुलिस को बतात और एक बार में दस साल के लाने छुट्टी दई जात हें।
रिपोर्टर- लाली और पवित्रा 
30/07/2016 को प्रकाशित

झांसी के खैलार की खदान है खतरनाक
फिर क्यों यहां मज़दूरी करते हैं लोग?