खबर लहरिया अतिथि कॉलमिस्ट महिला पत्रकारों की कलम से – कभी-कभी ब्रेड, अचार खाकर सोती थीं मधुरिमा तुली

महिला पत्रकारों की कलम से – कभी-कभी ब्रेड, अचार खाकर सोती थीं मधुरिमा तुली

फिल्मी दुनिया से ताल्लुक न रखने वाले सितारों के लिए ग्लैमर जगत में करियर बनाना टेढ़ी खीर से कम नहीं। कड़ी मेहनत ढेरों ऑडिशन और तमाम जतन के बाद उनकी मेहनत रंग लाती है। इस फेहरिस्त में मधुरिमा तुली का भी नाम आता है। वे देहरादून से ताल्लुक रखती हैं। सिनेमा में काम करने की चाहत उन्हें मुंबई खींच लाई। वे रीऐलिटी शो ‘खतरों के खिलाड़ी’, ‘कसौटी’ और ‘कुमकुम भाग्य’ जैसे धारावाहिकों का हिस्सा रही हैं। कई विज्ञापनों में भी काम किया है। यही नहीं दक्षिण भारतीय फिल्मों में भी हाथ आज़माया। इस साल रिलीज़ फिल्म ‘बेबी’ में अक्षय कुमार की पत्नी की भूमिका में नज़र आईं। ‘हमारी अधूरी कहानी’ में रोल किया। ज़ीटीवी पर ‘आई कैन डू दैट’ में हैरतअंगेज़ स्टंट किए। फिलहाल नाम और दाम के पैमाने पर मधुरिमा का भविष्य सुनहरा दिख रहा है। हालांकि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्हें काफी संघर्ष भी करना पड़ा।

वे बताती हैं – ‘‘संघर्ष पिछले पांच वर्ष से लगातार जारी है। मुंबई आने पर यहां मेरा कोई परिचित नहीं था। अभिनय का जुनून था। हर जगह आॅडिशन देने जाती थी। मेरे पास आमदनी का ज़रिया नहीं था। घर से खर्च के पैसे आते थे। यह सिलसिला लंबे समय तक नहीं चल सकता था। लिहाज़ा विज्ञापनों में काम करना शुरू किया। टीवी पर छोटे-मोटे रोल किए। करियर कुछ खास गति से नहीं चल रहा था। कभी-कभी सिर्फ ब्रेड और अचार खाकर रह जाती थी। मेरी पहली फिल्म ‘वाॅर्निंग’ थी। उसे करने के दो साल तक कोई खास काम नहीं मिला। मैं हताश हो गई। मैंने ग्लैमर इंडस्ट्री छोड़ने का मन बना लिया। पर फिर ‘कुमकुम भाग्य’ में काम का अवसर मिला। उसमें मेरा ग्रेशेड कैरेक्ट पसंद किया गया। ‘बेबी’ में नीरज पांडे और अक्षय कुमार जैसे मंझे कलाकारों के साथ स्क्रीन शेयर करने का मौका मिला। शुरुआत में मैंने काम का दायरा सीमित कर रखा था। अब मैंने टीवी, फिल्म और वेब सीरीज़ सभी विकल्प खुले रखे हैं। मैं क्वॉलिटी काम करना चाहती हूं। यही वजह है कि किसी फिल्म में अगर मेरे किरदार की लंबाई कम भी है तो मैं उसे करने से पीछे नहीं हटती।’’