लोकसभा चुनाव जीत की होड़ में किस किस ने पार्टी बदल डाली आप सोच भी नहीं सकते।जो लोग पिछले पांच साल गांव में लोगों को दिखे नहीं आज गांव गांव जनता को लूभानें पहुंचनें लगे हैं और यह भी बताने लगे हैं कि हम तो इसी गांव के निवासी हैं।आपको कैसे भूल सकते हैं। यह सब चुनावी खिचड़ी पकानें में नेता मंत्री लगें हैं।
भाजपा के सांसद श्याम चरण ने आखीर क्या सोच के पार्टी छोड़ दी और सपा का हांथ थाम लिया।
वहीं सपा के पूर्व सांसद बालकुमार ने भी कांग्रेस का साथ पकड़ लियाहै।
इसी तरह कई और लोग भी लाइन में लगें हैं कि कब मौका मिले और हम पार्टी बदल कर दूसरे में जायें।
गांव के लोगों का कहना है कि जब नेता अपने में पक्के नहीं हैं तो हमारा क्या विकास करवायेगें।
खुद तो दलबदलू हैं जनता को कहतें कि समझ नहीं है।अरे हम समझदार नहीं है पर तुम लोगों की यह.क्या समझदारी है की हर पांच साल में पार्टी बदल के नाटक करते हैं।क्या इससे देश का विकास कभी हो पायेगा? या हम विकास के लिए नेताओं का मुंह देखते रहेंगें?और नेता अपना दल बदलते रहेगें।