उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि देश के बहुसंख्यक समुदाय को राम जन्माभूमि शीर्षक के मुक़दमे “न्याय में देरी, न्याय से वंचित होना है” पर जल्द ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले की उम्मीद है।
आदित्यनाथ ने ट्वीट करते हुए कहा है कि, “देश में बहुसंख्यक समुदाय और शांतिप्रिय लोगों ने जल्द से जल्द फैसले की उम्मीद करी है, उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए उन्होंने ये भी कहा है कि, “यदि न्याय समय पर दिया जाता है तो उसे उचित रूप से सराहा भी जाता है, लेकिन देरी होने पर यह अन्याय के बराबर समझा जाता है”।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने भी इसके लिए अपील करी है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला की वे जनवरी 2019 में इस मामले पर सुनवाई करेगा, के अगले दिन मुख्यमंत्री ने इस विषय पर ट्वीट किया था।
2 9 अक्टूबर से शुरू होने वाली उम्मीदवारों की दैनिक सुनवाई स्थगित करने के बाद समुदायों के बीच बढ़ते असंतोष का जवाब देते हुए आदित्यनाथ ने उनसे अनुरोध किया कि “धैर्य न खोएं और सरकार द्वारा उठाए गए सकारात्मक प्रयासों के साथ हाथ मिलाएं”।
उन्होंने अंतरिम संक्रमण चरण में कहा कि धार्मिक लोगों को देश में शांति और सद्भाव को मजबूत करने के सकारात्मक प्रयासों को बढ़ावा देना चाहिए।
2019 के लोकसभा चुनावों से पहले फैसला होने की उम्मीद पर, आदित्यनाथ ने कहा कि वह चाहते थे कि जल्द से जल्द इस मुद्दे को सुलझाया जाए क्योंकि “राज्य में कानून और व्यवस्था बनाए रखने की ज़िम्मेदारी उनके ऊपर थी”।
हालांकि, आदित्यनाथ ने इन सबके चलते कहा कि , “किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह उन्होंने न्यायपालिका का सम्मान किया है और संवैधानिक बाधाओं को भी समझा है”।
राम मंदिर के निर्माण के लिए एक अध्यादेश की प्रस्तुति पर भाजपा नेता का कहना है कि, “मामला उप-न्याय का था लेकिन वह यह विचारधारा भी रखते हैं कि सभी विकल्पों का पता लगाया जाना चाहिए”।