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योगी सरकार के तीन अधिकारी रिश्वत लेते हुए फसे स्टिंग में

साभार: विकिमीडिया कॉमन्स

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक स्टिंग के ज़रिये उनकी सरकार में काम कर रहे तीन राज्य सचिवालय कर्मचारियों को रिश्वत लेने के जुर्म में निलंबित करने का आदेश दिया है। बताया जा रहा है कि ये स्टिंग ऑपरेशन एबीपी न्यूज चैनल द्वारा किया गया था, जिसमे ये सभी अधिकारी अनुबंधों और आधिकारिक पोस्टिंग के बदले में रिश्वत लेते नज़र आये हैं।

कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर; खनन, आबकारी और निषेध राज्य मंत्री अर्चना पांडे; और मूलभूत, माध्यमिक और उच्च शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह का इस स्टिंग के ज़रिये असली रूप सबके सामने आ गया है। स्टिंग की विडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि कैसे ये कर्मचारी खनन अनुबंधों, आपूर्ति से जुड़े सौदे की सौदेबाजी, स्कूल की किताबों और तबादलों से जुड़े मुद्दों पर रिश्वत लेते दिखाई पड़े हैं।

मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि उन्होंने तीनों कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का भी आदेश दिया है। एडीजी (लखनऊ जोन) राजीव कृष्णा ने कहा कि एसआईटी को तुरंत अपनी जांच शुरू करने और 10 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है।

स्टिंग में, राजभर के निजी सचिव ओम प्रकाश कश्यप को शिक्षा अधिकारी के स्थानांतरण के बारे में बातचीत करते हुए सुना गया है। “हमको लगता है कि 30 से 40 तो चलता ही है”, उन्हें ऐसा कहते हुए सुना गया था।

सिंह के निजी सचिव संतोष अवस्थी को सरकारी स्कूलों में मुफ्त किताबों की आपूर्ति के लिए एक अनुबंध सील करने के लिए, हिस्सा मांगते हुए सुना गया है। “मान लीजिये आपका 50 करोड़ का निकला तो 50 करोड़ में आप उन्हें क्या देंगे, वो हमें बताएं” उन्हें ऐसा कहता हुए सुना गया है।

पांडे के निजी सचिव एस पी त्रिपाठी को सहारनपुर के लिए एक खनन अनुबंध पर बातचीत करते हुए सुना गया है। ” दस फीसदी सरकार में आ गया है … वहीँ 90 फीसदी अलग से…” उन्हें ऐसा कहते हुए सुना गया है ।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि उनकी सरकार की भ्रष्टाचार पर शून्य-सहिष्णुता की नीति है और किसी भी स्तर पर शिकायत होने पर प्रभावी कार्रवाई की जाएगी, ऐसा उनके एक आधिकारिक बयान में बताया गया है।