UWW ने बयान ने कहा कि अगर 45 दिनों के अंदर तय चीज़ें नहीं होती तो यूडब्ल्यूडब्ल्यू को महासंघ को निलंबित करना पड़ सकता है, जिससे पहलवानों को तटस्थ ध्वज के तहत प्रतिस्पर्धा करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
इंसाफ पाने से पहले आखिर कितनी बार पीड़ितों को बोलना पड़ता है? – विनेश फोगाट ने सवाल करते हुए पूछा। यह सवाल सिर्फ महिला पहलवानों व उनके सहयोगियों का नहीं है जो 23 अप्रैल यानी लगभग एक महीने से बीजेपी सांसद व कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जंतर-मंतर पर यौन शोषण के आरोप के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं बल्कि देश की हर एक महिला और व्यक्ति का है।
देश के पहलवान सरकार से इतना ज़्यादा हताश हैं कि साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगट ने अपने ओलंपिक और विश्व चैम्पियनशिप में जीतें पदकों को 30 मई को गंगा नहीं में बहाने तक का इरादा बना लिया। वह मेडल्स जो उन्होंने सालों-साल मेहनत करके देश के लिए जीते थे। वहीं पहलवानों के साथ इस प्रदर्शन में जुड़े किसानों ने उन्हें इस कदम को उठाने से रोका।
बता दें,विनेश फोगट विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता हैं, बजरंग पुनिया ने स्थगित टोक्यो ओलंपिक में कांस्य जीता है और साक्षी मलिक रियो 2016 की कांस्य पदक विजेता हैं।
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इस बीच, देश में पहलवानों के साथ हो रही नाइंसाफी को लेकर जहां सरकार कुछ करती नहीं दिखी, वहां 30 मई को यूनाइटेड वर्ल्ड रेस्टलिंग (United World Wrestling) की इंटरनेशनल गवर्निंग बॉडी ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों की गिरफ़्तारी और अस्थायी हिरासत की निंदा की। कहा कि, यह बहुत निराशाजनक है और जांच में कमी का परिणाम है। वह संबंधित अधिकारीयों से आरोपों की गहन और निष्पक्ष जांच करने का आग्रह करते हैं – एक बयान में कहा।
UWW ने कहा कि वह पहलवानों के साथ उनकी स्थिति और सुरक्षा के बारे में पूछताछ करने, उनकी चिंताओं के निष्पक्ष और न्यायपूर्ण समाधान के साथ-साथ उनके समर्थन की पुन: पुष्टि को लेकर एक बैठक का आयोजन करेंगे।
बयान में यह भी कहा गया कि अगर 45 दिनों के अंदर तय चीज़ें नहीं होती तो यूडब्ल्यूडब्ल्यू को महासंघ को निलंबित करना पड़ सकता है, जिससे पहलवानों को तटस्थ ध्वज के तहत प्रतिस्पर्धा करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
मामले को लेकर टीएमसी लीडर सौगत रॉय ने कहा कि,”यह अच्छा है कि उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई को गंगा में नहीं फेंका। उन्हें अपना विरोध जारी रखने दें और उन्हें देश भर से और अधिक समर्थन मिलेगा”
सवाल यही रहेगा कि क्या यूनाइटेड वर्ल्ड रेस्टलिंग के हस्क्षेप करने के बाद पहलवानों की तरफ ध्यान दिया जाता है या फिर इस मामले में और देरी की जाती है।
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