एडिशनल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अतुल श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष को “पता था कि वह क्या कर रहे हैं” और उनका इरादा पहलवानों की गरिमा को ठेस पहुंचाना था। उन्होंने यह भी बताया कि बृजभूषण के खिलाफ तीन तरह के सबूत हैं जो आरोप तय करने के लिए काफी हैं।
Wrestler Sexual Harassment Case: ‘बृजभूषण को जब भी मौका मिलता था वह महिला पहलवान के साथ शोषण करने की कोशिश करता था’ – दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा। बता दें, महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में शनिवार 23 सितंबर को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि आरोपी बीजेपी सांसद बृजभूषण (पूर्व WFI अध्यक्ष) के खिलाफ आरोप तय करने के लिए सबूत भी हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने कहा कि सवाल यह नहीं है कि पीड़ित लड़की ने कोई प्रतिक्रिया दी है या नहीं, सवाल यह है उनके साथ गलत किया गया है। आगे तर्क दिया कि जो सबूत और साक्ष्य पेश किए गए हैं, वह बृजभूषण (Brij Bhushan Sharan Singh) के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त हैं। बृजभूषण के खिलाफ छः महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगा, मामला दर्ज़ करवाया था।
बता दें, मामले को लेकर राउज़ एवेन्यु कोर्ट में अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।
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बृजभूषण के खिलाफ ये सबूत हैं काफी
दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे एडिशनल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अतुल श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष को “पता था कि वह क्या कर रहे हैं” और उनका इरादा पहलवानों की गरिमा को ठेस पहुंचाना था। उन्होंने यह भी बताया कि बृजभूषण के खिलाफ तीन तरह के सबूत हैं जो आरोप तय करने के लिए काफी हैं।
इनमें आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत धारा 161 (पुलिस द्वारा गवाहों की जांच) और 164 (मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किए गए बयान) के तहत एक लिखित शिकायत और दो दर्ज किए गए बयान शामिल हैं।
श्रीवास्तव ने कहा कि बृजभूषण सिंह के खिलाफ आरोप तय करना अदालत के अधिकार क्षेत्र में है। उन्होंने डब्ल्यूएफआई प्रमुख के वकील के उस तर्क का भी खंडन किया कि भारत के बाहर हुए मामलों के लिए सीआरपीसी की धारा 188 के तहत मंजूरी की ज़रूरत होती है।
अतुल श्रीवास्तव ने पहले के एक फैसले का हवाला देते हुए तर्क दिया कि मंजूरी की ज़रूरत सिर्फ तभी होगी जब सभी अपराध भारत के बाहर किए गए हों। उन्होंने कहा कि अपराध दिल्ली के साथ-साथ अन्य स्थानों पर भी हुए, इसलिए मंजूरी की आवश्यकता नहीं है।
बृजभूषण को पता था वह क्या कर रहा है – दिल्ली पुलिस
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने शिकायतकर्ताओं के साथ दिल्ली में WFI के दफ्तर में हुई घटना का ज़िक्र किया।
कहा कि इन शिकायतों का क्षेत्राधिकार दिल्ली में ही बनता है। एक महिला पहलवान की शिकायत का ज़िक्र करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि
“तजाकिस्तान के एक इवेंट के दौरान बृजभूषण ने शिकायतकर्ता को कमरे में बुलाया और उसको ज़बरदस्ती गले लगाया। जब शिकायतकर्ता ने उसका विरोध किया तो बृजभूषण ने कहा कि पिता की तरह किया था। इससे साफ पता चलता है कि बृजभूषण को पता था वह क्या कर रहे हैं।”
दिल्ली पुलिस के वकील ने एक दूसरी शिकायतकर्ता की शिकायत का ज़िक्र करते हुए बताया,’बृजभूषण ने तजाकिस्तान में एशियन चैंपियनशिप के दौरान बिना इजाज़त के मेरी शर्ट को ऊपर करके मेरे पेट पर हाथ फेरा और अनुचित तरीके से मुझको छुआ था।’
इस धारा के तहत छेड़खानी करने वालों को होगी सज़ा
दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा कि अगर भारत में किसी भी महिला के साथ आईपीसी (IPC) की धारा 354A के तहत अपराध होता है तो उसके तहत आरोपी को तीन साल की अधिकतम सज़ा हो सकती है। दिल्ली पुलिस ने गुजरात में सोहराबुद्दीन एनकाउंटर का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस मामले में भी कई FIR अलग-अलग दर्ज थी लेकिन कोर्ट ने सुनवाई एक ही जगह की थी।
अब तक बृजभूषण केस में क्या हुआ?
बृजभूषण के वकील, एडवोकेट राजीव मोहन ने पहले कहा था कि दिल्ली की अदालत के पास देश के बाहर हुए अपराधों पर निर्णय लेने का अधिकार क्षेत्र नहीं है, जब तक कि उन्हें मंजूरी प्राप्त न हो।
श्रीवास्तव ने अदालत को यह भी बताया कि मामले के सभी गवाहों ने कहा कि सह-अभियुक्त विनोद तोमर ने बृजभूषण के कामों में उसकी मदद की और उसे बढ़ावा दिया। डब्ल्यूएफआई के पूर्व अतिरिक्त सचिव के रूप में अपने निलंबन से पहले, तोमर ने बृज भूषण सिंह के साथ मिलकर काम किया।
दिल्ली पुलिस ने छह बार के सांसद के खिलाफ 15 जून को आईपीसी की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल), 354 ए (यौन उत्पीड़न), 354 डी (पीछा करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप पत्र दायर किया।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने 20 जुलाई को बृज भूषण सिंह और निलंबित डब्ल्यूएफआई के अतिरिक्त सचिव विनोद तोमर को ज़मानत दे दी थी।
महिला पहलवानों की सत्ताधारी पार्टी के बीजेपी सांसद के खिलाफ यह लड़ाई बेहद मुश्किल रही जहां शुरू में उन्हें प्रशासन का बिलकुल साथ मिलता नहीं देखा। बल्कि जंतर-मंतर पर बृजभूषण के खिलाफ धरने पर बैठने के दौरान महिला पहलवानों व साथी पहलवानों पर पुलिस द्वारा डंडे बरसाये गए व ज़बरन थाने लेकर जाया गया। एक हिंसा के खिलाफ महिला पहलवानों की यह लड़ाई दूसरी हिंसा से होकर गुज़री। अंततः, अब सवाल यह है कि अब जब पुलिस के पास बृजभूषण के खिलाफ काफी सबूत है तो अदालत कब तक व किस प्रकार से उसे सज़ा देती है व सत्ताधारी पार्टी जो अब तक अपने सांसद को बचाती आई है, वह इस पर क्या कहती है।
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