विश्व धरोहर सप्ताह पर ख़ास- बदौसा में बागै नदी के किनारे महेवा बाबा का “चंदेल कालीन मंदिर”
हर साल 19 नवंबर से 25 नवंबर तक पूरे विश्व में मनाया जाता है।
चलिए आज इसी मौके पर बुंदेलखंड की सैर पर चलते हैं
ऐसा ही एक स्थान बदौसा से लगभग 5 कि. मी. दूर बरकतपुर गांव में बागै नदी के किनारे महेवा बाबा नामक स्थान है जहां पर चंदेल कालीन मंदिर होने के प्रमाण मिलते हैं ।
बरकतपुर गांव जो कि पूर्णतया मुस्लिम आबादी वाला गांव है जिस कारण यहां के लोगों ने इस स्थान पर कोई विशेष महत्त्व नही दिया। अलबत्ता यहां के कुछ लोगों ने मूर्तियों के अंदर सोना चांदी होने के लालच में इन मुर्तियों को खंडित जरुर कर डाला है लेकिन वहीं कुछ ग्रामीणों का कहना है कि इस स्थान व इन मुर्तियों से यहां के लोगों का कोई सरोकार नहीं है बल्कि कई साल पहले दूसरे जिले कुछ लोग आये थे उन्होंने इस स्थान का निरीक्षण किया मूर्तियों को तोड़ा भी था और कुछ मूर्तियों को चार पहिया गाड़ी में ले भी गए थे ।
लगभग एक बीघे के क्षेत्र में फैले गांव के बाहर बागै नदी के किनारे टीले नुमा इस स्थान पर लगभग एक दर्जन खंडित रूप में मूर्तियां पड़ी हुई हैं। तथा बाकी की टीले के अंदर होने की संभावना है जैसा कि ग्रामीणों का मानना है कि ,
देखने से तो यह मूर्तियां समृद्ध चंदेलवंश कालीन ही प्रतीत होती हैं। लेकिन फिलहालवाराणसी: वरुणा नदी में 22 वर्षीय व्यक्ति की डूबने से गई जान इसके पीछे का सच तो इतिहासकार या पुरातत्ववेता ही बता सकते हैं। लेकिन अगर इस स्थान को संरक्षित कर दिया जाए तो इतिहास के छात्रों के लिए शोध का विषय हो सकता है कि आखिरकार इस मंदिर के होने का क्या कारण हो सकता है? मंदिर के पीछे का रहस्य भी जानना जरूरी है कि आखिर इस एकांत स्थान पर मंदिर के क्यों बना होगा क्या यहाँ कभी बस्ती रही होगी यह भी मंथन का विषय है।
-शहनवाज़ खान शानू द्वारा लिखित