जिला बांदा,ब्लाक महुआ,गांव पनगरा निवासी मजदूर गोरा की 25 सितंबर की देर रात पांडा़देव मौरंग खादान में टीला ढहाने से मौत का मामला सामने आया| जिससे आक्रोशित परिजनो और ग्रामीणों ने 27 सितंबर को पनगरा गांव के मेन रोड पर शव रखकर जाम लगया| और जमकर नारेबाजी करते हुए कारवाई की मांग की.जिससे लगभग 4 घंटे बांदा नरैनी मुख्य मार्ग पर जाम लगने के कारण आवा- गमन भी काफी बधित रहा और सैकड़ो लोग और वाहन फंसे रहे.लेकिन आक्रोश के चलते ग्रामीण अपनी बात पर अड़े रहे. बडी मुश्किल के बाद पुलिस प्रशासन के आश्वासन पर शव को उठाया गया. तब वाहनों का आवा-गमन शुरू हुआ|
पनगरा में जाम लगाए परिजनो को समझाती पुलिस
नरैनी कोतवाली क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले पनगरा गांव निवासी मजदूर गोरा श्रीवास के भाई राजकुमार और शिवकुमार बताते हैं कि हम लोगों पांच भाई थे और बुजुर्ग मां बाप हैं|हम गरीबों के पास मेहनत मजदूरी के अलावा पेट भरने का और कोई सहारा नहीं है| इस लिए हम सभी लोग मेहनत मजदूरी का ही काम करते हैं और अपने परिवार का पेट पालते हैं| 25 सिंतबर कि रात बरुवा गांव के कुछ लोग आये थे और पांडा़देव मौरंग खादान मजदूरी करने के लिए कह कर भाई गोरा को घर से ले गए थे, बाद में वहां उसकी मौत हो गई| शनिवार |
सुबह उनको टीला ढहाने से गोरा की दबकर मौत होने की सूचना मिली है.उनको शंका है कि उनके भाई की हत्या की गई है इससे आक्रोशित होकर रविवार सुबह उन्होंने शव को रखकर सैकडों लोगों के साथ पनगरा गांव में सड़क पर जाम लगाया है| उनका आरोप है कि घर से ले जाने के बाद ठेकेदार वा टैक्टर चलाने वालों ने अवैध खदान पर रात में गोरा की हत्या कर दी है.इसके बाद काफी देर में उन्हें उसकी मौत की सूचना दी है| इस लिए वह उनके ऊपर कडी से कडी कारवाई की मांग कर रहे है|
लोगों के हिसाब से नरैनी क्षेत्र में फलता-फूलता है अवैध खनन
कुछ लोगों का ये भी कहना है कि नरैनी और गिरवां थाना क्षेत्र अवैध खनन के लिए बदनाम है. बेरोजगारी के चलते मजदूर मजबूरी में दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए हंथेली में जान लेकर लोग रात में मजदूरी के लिए जाते हैं.जिससे हादसों का शिकार होते हैं| लेकिन प्रसाशन इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठता और गरीब मजदूर की मौत के बाद उसका परिवार बिलखता रहता है|
ठेकेदार सहित चार लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज
नरैनी सीओ सियाराम का कहना है कि मृतक मजदूर के भाई राजकुमार की तहरीर पर कोतवाली में ठेकेदार फूल मिश्रा निवासी गांव बड़े छोटे ट्रैक्टर मालिक जगमोहन के खिलाफ धारा 302 अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति नृशंसता निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. मामले की जांच कराई जा रही है| जांच के आधार पर आगे की कारवाई की जाएगी|
सवाल ये उठता है कि मौरंग खादान हो या पत्थर खादान इन दोनों जगहों में वैध और अवैध तरीके के काम होते हैं. जिसमें बड़े-बड़े जिम्मीदार और मठाधीशओं का हाथ होता है लेकिन मौत का शिकार गरीब मजदूर होता है. क्योंकि उनके पास बेरोजगारी के चलते बुंदेलखंड में खासकर बांदा और महोबा जिले में और कोई काम ही नहीं होता| इस लिए वह लोग इस तरह के खतरनाक कामों में आए दिन मौत का शिकार होते हैं और उनका परिवार भी लगता रहता है लेकिन ठेकेदारों द्वारा लाश का सौदा कर पैसे के बल से उनका मुंह बंद करा दिया जाता है|
या फिर उन गरीबों के पास न्याय पाने के लिए और दूसरा काम करने के लिए पैसा ही नहीं होता जिससे वह अपना मुंह नहीं खोल पाते, तो क्या ऐसे मामलों के लिए भी सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी क्या मजदूरों को इस तरह की हो रही घटनाओं से कभी निजात मिलेगा यह सिर्फ मजदूरों के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें और भाषण होते रहेंगे और यह चुनावी मुद्दा बनता रहेगा