आईसीसी ने अपने एक बयान में कहा कि महिला टी20 विश्व कप के विजेताओं को 2.34 मिलियन अमेरिकी डॉलर का इनाम दिया जाएगा। यह इनाम की राशि ऑस्ट्रेलियाई महिला खिलाड़ियों को 2023 में दक्षिण अफ्रीका में खिताब जीतने पर दिए गए 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर से 134 प्रतिशत अधिक है।
Women’s T20 World Cup 2024: अगले महीने 3 अक्टूबर से यूएई में शुरू होने वाला महिला टी20 विश्व कप 2024 (Women’s T20 World Cup 2024), इंटरनेशनल क्रिकेट कांउसिल ( International Cricket Council) द्वारा आयोजित पहला इवेंट होगा जहां महिला खिलाड़ियों को भी पुरुस्कार की उतनी ही राशि प्राप्त होगी जितनी की किसी पुरुष टीम को जीतने पर मिलती है।
जुलाई 2023 में आईसीसी वार्षिक सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया था।
आईसीसी ने अपने एक बयान में कहा कि महिला टी20 विश्व कप के विजेताओं को 2.34 मिलियन अमेरिकी डॉलर का इनाम दिया जाएगा। यह इनाम की राशि ऑस्ट्रेलियाई महिला खिलाड़ियों को 2023 में दक्षिण अफ्रीका में खिताब जीतने पर दिए गए 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर से 134 प्रतिशत अधिक है।
आईसीसी ने अपने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया जोकि हमेशा से समान व सामान्य रहनी चाहिए थी। यहां ये सवाल उठना चाहिए था कि जो चीज़ें पहले से ही मौजूद होनी चाहिए थी, उसे देने में क्या ऐतिहासिक है? पुरुस्कार राशि की समानता पहले से क्यों नहीं थी?
महिला खिलाड़ियों को जीतने पर मिलने वाली राशि व उसमें अंतर
आईसीसी ने बताया, ग्रुप स्टेज के दौरान हर एक जीत पर टीमों को 31,154 अमेरिकी डॉलर मिलेंगे। वहीं सेमीफाइनल में न पहुंच पाने वाली छः टीमों को साझेदारी में 1.35 मिलियन अमेरिकी डॉलर मिलेंगे।
अगर हम महिला टी20 विश्व कप 2023 व 2024 की पुरूस्कार राशि की तुलना करें तो वह स्पोर्ट्स स्टार की रिपोर्ट के अनुसार कुछ ऐसी दिखती है :
2024 में विजेता टीम को मिलने वाली राशि (अमेरिकी डॉलर में) – 2.34 मिलियन
रनर-अप – 1.17 मिलियन
सेमीफाइनल हारने वाली टीमें – 675,000 अमेरिकी डॉलर
कुल राशि – 7.96 मिलियन डॉलर
2023 में विजेता टीम को दी गई राशि (अमेरिकी डॉलर में) – 1 मिलियन
रनर-अप – 500,000 अमेरिकी डॉलर
सेमीफाइनल हारने वाले टीमें – 210,000 अमेरिकी डॉलर
कुल राशि – 2.45 मिलियन
अगर हम इस साल भारतीय पुरुष खिलाड़ियों द्वारा पुरुष टी 20 वर्ल्ड कप 2024 में जीती हुई राशि की बात करें जोकि विश्व विजेता रहे हैं, तो वह कुछ ऐसी दिखाई देगी :
लाइव मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, आईसीसी ने कहा कि पुरुष टी20 विश्व कप 2024 के लिए उनके पास 11.25 मिलियन डॉलर या लगभग ₹94 करोड़ की पुरस्कार राशि थी, जिसे “रिकॉर्ड-ब्रेकिंग” भी बताया गया।
आईसीसी के मुताबिक, टूर्नामेंट के विजेता भारत को 2.45 मिलियन (20.42 करोड़) डॉलर मिले। दक्षिण अफ्रीका, जो टी20 विश्व कप में उपविजेता रही उन्हें $1.28 मिलियन यानी ₹10.6 करोड़ रूपये मिले।
वहीं सेमीफाइनल हारने वाली हर टीम को 787,500 मिलियन डॉलर यानी 6.56 करोड़ रूपये मिले। सेमीफाइनल में हारने वाली दो टीमें इंग्लैंड और अफगानिस्तान रहीं।
जो टीमें सेमीफाइनल तक नहीं पहुंच पाईं, उनमें हर टीम को 382,500 डॉलर यानी 3.19 करोड़ रूपये मिले। वहीं नौवें और 12वें स्थान के बीच रहने वाली हर टीम को 247,500 डॉलर यानी 2.06 करोड़ रूपये मिले।
13वें से 20वें स्थान की रैंकिंग वाली टीमों में से हर टीम को 225,000 डॉलर यानी 1.87 करोड़ रूपये मिले। इसके अलावा, प्रत्येक टीम को सेमीफ़ाइनल और फ़ाइनल को छोड़कर, जीते गए हर मैच के लिए अतिरिक्त 31,154 डॉलर यानी 2.59 करोड़ रूपये भी मिले।
महिला खिलाड़ियों की आय और उसमें असमानता
महिला और पुरुष खिलाड़ियों के बीच का अंतर सिर्फ पुरुस्कार राशि नहीं बल्कि उनकी आय में भी देखा जा सकता है। जहां आईसीसी यह कहती है कि वह अब समानता को बढ़ावा दे रही है लेकिन दोनों ही लिंग के खिलाड़ियों के बीच चाहें वह आय का बंटवारा हो, समर्थन का हो या अवसर का इत्यादि, असमानता शुरू से ही देखी गई है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की साल 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, बीसीसीआई ने फैसला लेता हुए कहा था कि महिला व पुरुष खिलाड़ियों को अब समान वेतन दिया जाएगा और इसके ज़रिये लिंग समानता को बढ़ावा दिया जाएगा।
शुरू की गई नई प्रणाली के अनुसार, भारतीय महिला क्रिकेटरों को अब प्रति टेस्ट 15 लाख रुपये, प्रति वनडे (ODI) 6 लाख रुपये और प्रति टी20ई (T20I) 3 लाख रुपये मिलेंगे, जैसे कि पुरुष खिलाड़ियों को मिलता है।
इससे पहले, महिला खिलाड़ियों को वनडे और टी20ई के लिए 1-1 लाख रुपये मिलते थे, जबकि टेस्ट मैच के लिए मैच फीस केवल 4 लाख रुपये थी।
रिपोर्ट में बताया गया कि खिलाड़ियों की टेस्ट फीस में 275% की बढ़ोतरी, टी20 फीस में 200% की बढ़ोतरी और वनडे फीस में 500% की बढ़ोतरी हुई है।
न्यूज़ीलैंड के बाद भारत ऐसा दूसरा देश है जहां अब जाकर महिला व पुरुष खिलाड़ियों के वेतन को समान किया गया है।
आईसीसी के फैसले को इस समय ऐतिहासिक कहा जा रहा, सराहनीय कहा जा रहा है जो एक हद ठीक भी है क्योंकि यह फैसला इतने सोच-विचार के साथ, इतने लंबे समय बाद जो लिया गया है। तारीफ तो बनती है और सवाल भी कि इतनी देरी क्यों?
और इस क्यों का जवाब हम ‘लिंग-भेद’ से समझ सकते हैं, जिसे न कभी समाज ने छोड़ा और न हमने। यह लिंग भेद किसी एक जगह नहीं बल्कि पूरे विश्व में देखा जा सकता है। लिंग भेद के साथ आय व अवसर में असमानता समाज की रीति रही है जिसे समाज में हम जैसे बैठे कई लोग निभा रहे हैं और आगे लेकर जा रहे हैं।
महिला समाज के किसी भी घेरे में हो, उसे हर जगह का असमानता का सामना करना पड़ता है। वह घर हो,नौकरी हो, फिल्म जगत हो, खेल का क्षेत्र हो या अन्य कोई भी क्षेत्र, हर जगह असमानता।
और जब उन्हें उनके अधिकार के समान कुछ चीज़ें कथित तौर पर संगठित कंपनियों व किसी क्षेत्र में आधिपत्य रखने वाले समूह या व्यक्ति द्वारा दी जाती है तो उसे ऐतिहासिक घोषित कर दिया जाता है। इसमें सालों साल चला आ रहा भेदभाव, कम अवसर, कम सुविधा,नज़रअंदाज़ करना व असमानता को नहीं देखा जाता।
खिलाड़ी एक महिला है, तो वह समाज के बेशक किसी भी हिस्से से आती हो….. वह हर जगह असमानता का सामना करती है। उनके लिए किये जा रहे काम व उन्हें उन्हीं के अधिकार देने पर उन्हें ऐतिहासिक बना दिया जाता है।
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