सरकार की मिशन शक्ति योजना के तहत नारी जागरूकता यानि सिर्फ महिलाओं के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है। बढ़ती हिंसा को देखते हुए ये मिशन चलाया गया था ताकि महिलाएं और लडकियां आत्मनिर्भर बनें और अपनी रक्षा खुद कर पाएं। तो क्या जो घटनाएं बढ रही हैं उसमें सिर्फ महिलाओं का दोष है? क्या ज़रुरी नहीं कि पुरुषों को भी ये बताना चाहिए कि वो महिलाओं के साथ कैसा बर्ताव करें? इस कार्यक्रम के तहत गाँव देहातों की महिलाओं और स्कूल एवं कॉलेज की छात्रों को ट्रेनिंग दी जाती है और उन्हें कैसे खुद को मुसीबत के समाय बचाना है, यह बताया जाता है।
सिर्फ महिलाओं के लिए ऐसी योजना बनाना ये साफ दर्शाता है कि सरकार भी महिलाओं को बेवकूफ समझती है क्यूंकि अगर क्राइम पुरुषों के द्वारा हो रहे हैं तो ट्रेनिंग महिलाओं को क्यों दी जा रही। सरकार को अब इस रूढ़िवादी सोच से बाहर निकलना चाहिए कि महिलाएं कमज़ोर हैं या उन्हें किसी की मदद की ज़रुरत है। अब सरकार को महिलाओं के बजाय पुरुषों के लिए ऐसे जागरूकता अभियान बनाने चाहिए जिससे वह महिलाओं को अच्छी नज़र से देखें और उनकी इज़्ज़त करना शुरू करें।