खबर लहरिया क्राइम महिला हिंसा रोकने वाली महिलाएं खुद हुई हिंसा की शिकार

महिला हिंसा रोकने वाली महिलाएं खुद हुई हिंसा की शिकार

एक तरफ सरकार 50 परसेंट का भागीदारी मानती है। महिलाओं को महिलाओं के मान सम्मान की बात करती है। जमीनी स्तर पर ये सब सब हवाहवाई नजर आ रहा है। महिलाओं का मान सम्मान सुरक्षित नहीं दिख रहा और अगर नौकरी की बात करे तो कितनी नौकरी महिलाओं को दी जाती हैं। मान सम्मान के साथ फिर उनसे वो नौकरी छीन ली जाती है जिससे वो महिलाएं मानसिक और आर्थिक उत्पीड़न का शिकार होती है।

जैसे सिक्षा मित्रों के साथ हुआ हाल ही महिला समख्या एक संस्था जै महिला हिंसा महिलाओं के सिक्षा पर काम कर रही थी सैकड़ों महिलाओं की रोजी रोटी उस संस्था से चल रही थी वो भी बंद कर दी गई महिला हेल्पलाइन 181जो सपा सरकार मे अखिलेश यादव द्वारा यू पी के 7 जिलो मे चलाई गई थी , जिसमें महिलाएं महिला हिंसा की रोकथाम के लिए काम कर रही थी अब वो भी बंद कर दी गई है भाजपा की सरकार आई तो मुख्यमंत्री योगी अदित्य नाथ ने इस योजना को पूरे पू पी के 75 जिले मे लागू कर दी जिसमे लगभग तीन सौ से ज्यादा महिलाएं काम कर रही थी |

इस योजना मे चित्रकूट मे 2017 से काम कर रही अर्चना रितू और आरती ने बताया हमे पहले कुछ नहीं बताया गया की क्या नियम हैं आगे चल कर ये योजना बंद कर दी जाएगी ऐसा हमे पता होता तो हम इस नौकरी को नहीं करते हमारी वेतन एक साल तक नहीं दी गई और न ही बताया गया की ये योजना बंद कर दी है हमसे काम कराते रहे हम बिना वेतन के एक साल काम करते रहे वेतन के बारे मे पूछने पर हमे असवाशन मिलता रहा नहीं बताया गया की अब हम काम न करे आस ही आस मे हम कर्ज लेकर आफिस आते रहे उसी तरह काम करते रहे हमे जब एक साल बाद पता चला की अब काम नहीं करे ये योजना बंद कर दी गई है |

तब हमने वेतन की माग और नौकरी मे कही भी अरजेस्ट करने की मांग और एक लडकी उन्नव की आऊशी जिसने नौकरी जाने से आत्महत्या कर ली उसके परिवार को 7 लाख मुवावजा की मांग को लेकर हम लखनऊ मे धरने पर बैठे एक महिने लगातार धूप बारिश मे मे बैठे रहे और वहां रहने मे जो लगभग एक एक लोगो का रोज का खर्च खाना पीने का होता वो कर्ज लेकर खर्च किया हमने कहा जो 181 महिला हिंसा की रोकथाम के लिए काम कर रही थी उसकी जगह जो वन स्टाफ सेंटर मनाया गया है |

सब वही हे काम वही आफिस वही सिर्फ नये लोगो को जगह दी गई है हमे भी उसी मे जोड देते हमारे पास तीन साल का अनुभव था लेकिन नहीं सुनवाई हुई जितनी भी लडकियां इस महिला हेल्पलाइन 181 से जुडी थी सबकी आर्थिक मानसिक स्तिथ बहुत खराब है कितनी लडकियों ने आत्महत्या करने की कोशिश करी सरकार महिला हिंसा के रोकथाम के लिए हमे रखा था आज हम खुद हिंसा के शिकार हो गये सरकार की निति क्या है समझ नहीं आ रहा या तो सरकार महिलाओं पर हो रही हिंसा को उजागर नहीं होने देना चाहती या फिर वो खुद चाहती है महिलाओं पर इसी तरह हिंसा होती रहे |