नमस्कार दोस्तों मैं हूं सुनीता प्रजापति लेकर आई हूं अपना शो जासूस या जर्नालिस्ट। दोस्तो महिला हिंसा रोकने के लिए सरकार अक्सर नए-नए कानून बनाती है जिससे महिला हिंसा बंद हो। पर अगर हम इन तीन चार महीने के अंदर महिला हिंसा के आंकड़े देखें तो देखते ही बनते हैं, मामला बांदा जिला का है जहां पर हमने कई ऐसी महिलाओं से मुलाकात की जो हिंसा से पीड़ित थी। वह न्याय पाने के लिए थाना कोतवाली के चक्कर काट रही थी। पर पुलिस भी उनके कोई मदद नहीं कर रही है। इस शो में हम आपको जासूसी भरी कहानी तो नही पर उनकी ही मुंह जुबानी बताएंगे कि किस तरह से महिलाएं पीड़ित है, अपने ही परिवार से इसकी आगे की कहानी देखने के लिए आपको पूरा वीडियो देखना होगा उसके लिए पहले आप मेरे चैनल को सब्सक्राइब करिए और वीडियो को लाइक करें। वीडियो पसंद आए तो शेयर जरूर करें।
बदलते समय के साथ महिलाओं में भी काफी जगरुकता बढी़ है| इसके बावजूद भी उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड में पुरुष सत्ता और दहेज लोभियों के चलते महिला हिंसा की बहुत ही बूरी स्थिति है। कहीं पति प्रताड़ित करता है,तो कहीं परिवार के लोग और इस हिंसा को झेलते हुए जब थकी हारी महिलाएं पुलिस के पास जाती है तो वहां भी उनकी कोई सुनवाई नहीं होती| लॉक डाउन के चलते जब सब लोग अपने घरों के अंदर कैद थे| तब बांदा जिले के नरैनी तहसील अंतर्गत आने वाले कुछ गांव की महिलाओं को न्याय की मांग के लिए भटकते हुए देख और उनकी पीडा़ सुनकर दर्द जाना।
पीड़ित नीलम ने बताया कि मेरा पति पूना शहर में काम करता था। फरवरी 2019 में बीमारी के कारण खत्म हो गया है, एक दिन देवर ने कहा की चाहे तुम अपनी लड़की बेंचों या इज्जत पर मुझे मेरे पैसे चाहिए, और मुझे घर से निकल कर दिया। एक दिन रास्ते मे कुछ लोगों ने बुरी नियत रास्ते में छेंका इसकी दरखास नरैनी थाना में दी पर कोई कार्यवाही नही हुई।
संगीता बताती है की मेरा ससुर बहेरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में काम करता है। ससुर मेरे साथ गलत संबंध बनाता है, जब मैंने मना किया तो मुझे घर से निकल दिया है। इस मामले को लेकर कई बार नरैनी कोतवाली से लेकर बांदा एसपी तक शिकायत किया है,पर कोई कार्यवाही नहीं हुआ|
इसी तरह हड़हा गांव की सना बताती है कि शादी के समय दहेज की कोई ऐसी बात नहीं हूई थी। पर अभी 20 दिन पहले मोटरसाइकिल की मांग को लेकर बहुत बूरी तरह मेरे साथ मारपीट की है। इसकी दरखास नरैनी कोतवाली में दी, पर कुछ नहीं हुआ।
यही कारण है कि बराबर महिलाएं हिंस्साओं से जुझ रही है। इन जैसी सैकडो़ महिलाएं है जो इस तरह की हिंसा से जुझती रहती है, पर आवाज नहीं उठा पाती। अगर उठाती हैं, तो न्याय के लिए भकटती रहती हैं,या फिर उन्ही को दोषी ठहरा दिया जाता है। पर कारवाई नहीं की जाती|
ये अपने आप में एक बड़ा सवाल हैं कि जहाँ पर महिला हिंसा को रोकने और जल्द ही उन्हें न्याय दिलाने के लिए इतने सारे कानुन और हेल्पलाइन नंबर हैं,वहाँ इन महिलाओं को न्याय क्यों नहीं मिल रहा क्या ये पुलिस प्रसाशन की जिम्मेदारी नहीं है या फिर प्रसाशन जान कर भी अनजान है और कारवाई करना नहीं चाहती| जिसके कारण महिला हिंसा दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं|