गर्मी का मौसम है, मानसून भी है पर पानी नहीं गिर रहा, इसलिए बहुत ज़्यादा उमस है। पेड़ के नीचे बैठकर चौरा कर रही महिलाएं कहती हैं, न भगवान बारिश कर रहे, न लोगों को पानी मिल रहा। हर दिन कम से कम 1 किलोमीटर दूर पानी भरने जाना पड़ता है। पहाड़ी से नीचे उतरने में काफी दिक्कत होती है। कभी-कभी तो इन लोगों के पैर फिसल जाते हैं तो हाथ पैर भी टूट जाते हैं। प्लास्टर बांधकर महीने भर घर पर ही बैठना पड़ता है।
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