खबर लहरिया औरतें काम पर बेहद कठिन जिंदगी है महिला पुलिसकर्मियों की, क्या इन्हें कभी मिलेगा आराम?

बेहद कठिन जिंदगी है महिला पुलिसकर्मियों की, क्या इन्हें कभी मिलेगा आराम?

पुलिस ने नाम से तो हर कोई डरता है। हर कोई को लगता है कि पुलिस की जॉब है। पर इसके अंदर काम क्या है और कैसे काम है किसी को पता नही। यहां तक कैसे पहुँचे है आइये जानते है उन्ही से की वो इस जॉब में कैसा महसूस करते है। कॉस्टेबल के पद पर तैनात शिल्पी ने बताया कि मैंने शादी के बाद पुलिस की जॉब पकड़ी है।

पहले से पुलिस की जॉब के लिए जुनून था। मन करता था कि हम भी पुलिस की जॉब करें। पर मेरे घर मे इतनी सुविधा नही थी। जिससे हमारी शादी हो गई। ससुराल आये तो ससुराल में सपोर्ट मिला। हमने तैयारी की। पहले सब लोग मना कर रहे थे। जब हमने जबरजस्ती की तो मान गए। हमारे एक छोटी सी बेटी थी। जब हमारी दौड़ हो रही थी तो दूसरा बच्चा पेट मे था।

पर हमने हार नही मानी और हमने अपनी पूरी दौड़ की। जसमे हम फ़ास्ट रैंक पर आए थे। जब ट्रेनिंग हो रही थी, तो वहां पर हम सबको बहुत याद आ रही थी पर हमारे ग्रुप के लोगो ने काफी सपोर्ट किया। पर ट्रेनिंग होने के बाद जब हम महोबा आये तो आज तक हमने कोई त्योहार सुकून से या परिवार के साथ नही मनाया है। हमारे दो बच्चे के, सुबह से ड्यूटी जाते है।

शाम को आते है, मकान मालिक के सहारे छोड़ कर चले जाते है। चित्रकूट जिले पर तैनात महिला एसओ ने बताया कि उसको बचपन से शौक था कि वह समाज सेवा करें। चोरी से दौड़ के लिए जाते। पापा को पुलिस की जॉब पसंद नही थी। हमने अपनी जबरजस्ती से जॉब की। कई साल तक हमारे पापा हमसे रूठे रहे। पर हमने कोई परवाह नही की। हमने शादी भी नही की। और आज हमारे मम्मी पापा साथ है।

बस कभी कभी महसूस होता है कि हम भी परिवार से साथ शादी में जाएं। पर छुट्टियों की सबसे बड़ी प्रोबलम है। हमारी बहन के बेटे की शादी थी। हमारे पास रहा था बचपन से पर जब शादी हुई तो हम नही जा पाए। सब तैयारियां भी थी। फिर अचानक से ड्यूटी लग गई और नही जा पाए। यही सबसे बड़ी दिक्कत है। बांदा से होमगार्ड ने बताया कि हमने वो सब ट्रेनिंग की है जो लड़को के लिए होता है। हमे कमांडर के पद के लिए भी चुना गया था। फिर हमारी जगह किसी और की भर्ती कर दी गई। हमे कभी किसी से कम नही माना है। हमने आज तक कि नौकरी में वही किया है