जिला महोबा वहव्लाक जैतपुर कस्बा कुलपहाड़ जहां की रहने वाली औरतें ऊन का ब्लाउज बनाते हैं खासकर यह ब्लाउज सर्दियों के सीजन में बनता है और 30 साल से लेकर 60साल की महिलाएं पहनती है पहनने वाली महिलाएं में बताया है कि हम लोग किस लिए पहनते हैं कि सर्दी ना सीने में जाए उनका इसे पहनने में यह फायदा है कि अगर छोटा बच्चा है और हम लोग शादी में रहते हैं तो एकदम से सर्दी सीने पर बैठती है तो हमारे लिए भी फायदा है और खासकर जो दूध पीते हैं बच्चे उनके लिए है
यह भी महिलाओं ने बताया है कि इसको पहनते हैं तो हम लोग काम भी कर पाते हैं और सर्दी नहीं लगती है क्योंकि फुल ब्लाउज पहनने में कहीं काम करने में जैसे कि पानी जैसा तो काम करते हैं वह भेज दी जाती है और उसको दूध ना करना पड़ता है यह महिलाएं सर्दियों के महीना में बनाते हैं और फरवरी के महीने तक बनाते हैं नवंबर से शुरू करते हैं ब्लाउज बनाते हैं
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1 पीस बनाने में लम सम 200 ग्राम खून लगता है जो हाथों से बुनकर पहनते हैं एक ब्लाउज बनाने में समय लगभग 4 दिन लगता है कहते हैं कि अगर ब्लाउज नहीं पहनते हैं उनका तो एकदम से सर्दी लगती है और उनका पहनते हैं तो सर्दियों में के लिए बचा होता हैजो युवा पीढ़ी है
वह हाल में कहते हैं कि जाकर ब्लाउज जैसे हमें पसंद है लेकिन हमें उनको ये पसंद हीं है क्योंकि एक से मार्केट में कोट जाकेट जैसे आते हैं महिलाओं ने यह भी बताया है कि लगभग 30 साल से यह उनका ब्लाउज पहनने का चला हुआ है पहले सूती के कपड़े आते थे तो उसमें हवा नहीं लगती थी अब टेरी काट के कपड़े आने लगे हैं इससे इनमें ज्यादा सर्दी लगती है इसलिए उनका इसको जरूरी है पहनना अपने सर्दी के बचाव के लिए