गिग और प्लेटफार्म सेवा श्रमिक संघ की मांग है कि केंद्रीय और राज्य सरकारें गिग अर्थव्यवस्था में रोजगार को श्रम कानूनों के ज़रिये से नियंत्रित करें। इसमें सामाजिक सुरक्षा के अधिकार जैसे “कर्मचारी भविष्य निधि (EPF), कर्मचारियों की पेंशन योजना का विस्तार, और मातृत्व लाभ अधिनियम को इस क्षेत्र में लागू करना शामिल है।
भारत की पहली महिला गिग श्रमिकों की यूनियन ‘गिग और प्लेटफार्म सेवा श्रमिक संघ’ (Gig and Platform Services Workers Union) ने 31 अक्टूबर, दीपावली के दिन ‘डिजिटल स्ट्राइक’ करने का ऐलान किया है। यह यूनियन उन महिलाओं के लिए है जो प्लेटफार्मों और एग्रीगेटर्स के लिए काम करती हैं।
गिग शार्मिक, वे व्यक्ति होते हैं जो अस्थायी व कथित तौर पर स्वतंत्र रूप से काम करते हैं, आमतौर पर डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से।
मौजूदा जानकारी के अनुसार, यहां एग्रीगेटर्स का मतलब उन कंपनियों या प्लेटफॉर्मों की तरफ है जो अलग-अलग प्रदान की जाने वाली सेवाओं (जैसे कि ड्राइवर, डिलीवरी लोग, या अन्य गिग श्रमिक) को एक जगह पर लेकर आते हैं। उदाहरण के लिए, ओला और उबर जैसे ऐप्स ड्राइवरों को उपयोगकर्ताओं से जोड़ने का काम करते हैं।
इन जगहों और ऐसे होगी हड़ताल
यूनियन द्वारा हड़ताल के दिन गिग श्रमिकों को अपने फोन बंद करने और ‘डिजिटल मौन’ रहने के लिए कहा गया है। द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार, यह हड़ताल पूरे देश में होगी जिसमें बेंगलुरु, दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहर शामिल है।
यूनियन ने गिग श्रमिकों के लिए रखी यह मांगे
यूनियन ने अपनी मांगो में इन चीज़ों को शामिल किया है :
1. गिग श्रमिकों को प्लेटफार्म कंपनियों के कर्मचारियों के रूप में मान्यता दी जाए।
2. श्रमिकों के लिए सम्मानजनक काम करने की परिस्थितियाँ सुनिश्चित की जाएं।
3. न्यूनतम वेतन का कानून लागू किया जाए।
4. श्रमिकों के लिए शिकायत निवारण तंत्र (grievance redressal mechanisms) स्थापित किया जाए।
5. श्रमिकों के संघ बनाने और सामूहिक वार्ता के अधिकार को मान्यता दी जाए।
गिग श्रमिकों को मिले ये अधिकार
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यूनियन की यह भी मांग है कि केंद्रीय और राज्य सरकारें गिग अर्थव्यवस्था में रोजगार को श्रम कानूनों के ज़रिये से नियंत्रित करें। इसमें सामाजिक सुरक्षा के अधिकार जैसे “कर्मचारी भविष्य निधि (EPF), कर्मचारियों की पेंशन योजना का विस्तार, और मातृत्व लाभ अधिनियम को इस क्षेत्र में लागू करना शामिल है।
अलग-अलग गिग श्रमिकों की यूनियनें इन जैसे कई मुद्दों को लेकर आवाज़ उठा रही हैं। उनका कहना है कि गिग श्रमिकों की भलाई व उनके बारे में सोचने वाली नियामक तंत्र (वे नियम और प्रक्रियाएं जो किसी क्षेत्र या गतिविधि को नियंत्रित और प्रबंधित करने के लिए बनाए जाते हैं) की कमी होने के साथ, श्रमिकों को उनके मौलिक अधिकारों से भी वंचित रखा जाता है।
गिग श्रमिकों को करना है एकजुट
यूनियन ने ज़ारी अपने एक बयान में कहा,”इन चुनौतियों को देखते हुए, GIPSWU की डिजिटल हड़ताल गिग श्रमिकों और सहयोगियों को एकजुट करने का प्रयास है ताकि उनके अधिकारों की मान्यता की मांग की जा सके।”
बैंगलोर से एक यूनियन पदाधिकारी सेल्वी ने कहा, “वे कहते हैं कि हम जब चाहें काम करने के लिए आज़ाद हैं, लेकिन यह झूठ है। हम हड़ताल पर इसलिए जा रहे हैं ताकि हम सभी को यह दिखा सकें कि हमारे लिए हालात कितने खराब हैं।”
मकतूब मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली से GIPSWU की नेता सीमा सिंह ने कहा कि श्रमिक अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं जबकि अन्य लोग दीपावली का जश्न मना रहे हैं। इसलिए, वे इस त्योहार के दिन जागरूकता फैलाने की योजना बना रहे हैं।
23.5 मिलियन हो सकती है गिग-प्लेटफार्म श्रमिकों की संख्या
प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (दिल्ली) द्वारा 22 जुलाई 2024 को प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया, पहली बार ‘गिग श्रमिकों’ और ‘प्लेटफार्म श्रमिकों’ की परिभाषा 2020 के सामाजिक सुरक्षा कोड में दी गई है।
नीति आयोग के एक अनुमान के अनुसार, जून 2022 में प्रकाशित रिपोर्ट “भारत की बढ़ती गिग और प्लेटफार्म अर्थव्यवस्था” में बताया गया है कि देश में 2020-21 में गिग श्रमिकों और प्लेटफार्म श्रमिकों की संख्या 7.7 मिलियन थी, जो 2029-30 तक बढ़कर 23.5 मिलियन होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में गिग श्रमिकों और प्लेटफार्म श्रमिकों के लिए कई तरह के सामाजिक सुरक्षा उपाय किए गए हैं। इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि ये उपाय भारत में गिग श्रमिकों और प्लेटफार्म श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा के उपायों को कैसे लागू करने में मदद कर सकते हैं।
गिग व प्लेटफार्म श्रमिकों के अधिकार, सामाजिक सुरक्षा कोड 2020
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, सामाजिक सुरक्षा कोड (Code on Social Security), 2020 गिग श्रमिकों और प्लेटफार्म श्रमिकों के लिए कई सामाजिक सुरक्षा उपायों का प्रावधान करता है। इनमें जीवन और विकलांगता कवर, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ, और वृद्धावस्था जैसी सुरक्षा शामिल हैं।
इस कोड में कल्याण योजनाओं के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष बनाने का भी प्रावधान है। इसके साथ ही, धारा 113 में असंगठित श्रमिकों, गिग श्रमिकों और प्लेटफार्म श्रमिकों का पंजीकरण कराने का तरीका बताया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, इन प्रावधानों को अभी लागू नहीं किया गया है।
नीति आयोग की रिपोर्ट यह भी बताती है कि अलग-अलग हितधारकों के साथ कई बैठकें हुई हैं, जिनमें एग्रीगेटर्स और गिग और प्लेटफार्म श्रमिकों के प्रतिनिधियों से मुलाकात शामिल है। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER), नीति आयोग और अन्य भागीदारों के साथ भी बैठकें हुई हैं।
यह जानकारी श्रम और रोजगार राज्य मंत्री,शोभा करंदलाजे ने लोकसभा में लिखित जवाब में दी थी।
हालांकि,इतनी बैठकें व बातचीत होने के बावजूद भी गिग श्रमिकों के अधिकारों को बहाल नहीं किया गया है। सामाजिक सुरक्षा कोड 2020, कल्याण योजनाओं के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष बनाना इत्यादि बातें भी की गई हैं, लेकिन इन प्रावधानों को लागू नहीं किया गया है। जो अधिकार व प्रावधान लागू ही नहीं किये गए हैं, आखिर उनके साथ, उनके आधार पर श्रमिक अपने अधिकार कैसे प्राप्त करे?
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