ये सच है की समाज में बदलाव तभी आएगा जब महिलाओं को अपनी आर्थिक जरूरतों के लिए पुरुषों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, इसका सबसे बड़ा उदाहरण पेश कर रही हैं चित्रकूट जिले के पंडरी गाँव की महिलाएं। पंडरी गांव की कुछ महिलाएं पूजा आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुडकर ऐसा काम कर रही हैं जिससे महिलाओं को रोजगार मिलने के साथ ही आत्मनिर्भर बनने के रास्ते भी निकल रहे हैं।
इन महिलाओं के पास पहले ऐसा कोई साधन नहीं था जिनसे इन्हें कुछ आमदनी हो सके और इनका घर चल सके। मजबूरन इन्हें मजदूरी और छोटे-मोटे कामों पर निर्भर रहना पड़ता था। अगर किसी महिला को पैसों की जरूरत पड़ जाए तो उन्हें अपने पतियों का मुंह भी ताकना पड़ता था। लेकिन अब इस काम से शायद ये नए सपने देख पाएंगी और अपने सपनों को पूरा भी कर सकेंगी।
गांवों में सबसे बड़ी समस्या रोजगार की होती है और जब बात महिलाओं की आती है तो कई सारे विकल्पों के दरवाजे तो अपने-आप बंद हो जाते हैं। मेहनत में यकीन रखने वाली इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए बस एक अवसर की तलाश थी। और अब ये महिलाएं वास्तव में बदलाव की नई कहानी लिख रही हैं। इसी योजना के तहत हमने बात की पूर्णिमा से जो चित्रकूट जिले की कर्वी ब्लॉक के पड़री गांव की रहने वाली हैं। उन्होंने बताया 2018 से वो इस योजना से जुडी इसी के तहत वो मेट का काम की।
उन्होंने बताया कि पहले कही नहीं आती जाती थी घर में ही रहती थी। 8 तक पढाई की हैं इसलिए किसी अधिकारी से बात करते हुए डर लगता था।और जानती भी नहीं थी कौन अधिकारी किस लिए होता है। अब वे सभी अधिकारियों से बात कर लेती हैं कही भी चली जाती हैं उनका डर अब खत्म हो गया है।