खबर लहरिया Blog स्त्री हर जगह असुरक्षित है, आस्था के कथित पर्व महाकुंभ में भी!

स्त्री हर जगह असुरक्षित है, आस्था के कथित पर्व महाकुंभ में भी!

एक स्त्री समाज के किसी भी घेरे में सुरक्षित नहीं जिसका प्रमाण कथित पुरुषों का झुंड खुद ही दे रहा है। नाबालिग़ के पिता का झूठा नाम ले, अपना लालसा भरे देह के साथ टेंट में घुसकर कहता है कि पिता ने कहा है साथ तस्वीर के लिए, और जब भाई रोकने की कोशिश करता है तो कामना से भरे पुरुषों का समूह शारीरिक हिंसा पर उतर आता है। यह सब कुछ वहां हो रहा है जहां ये झुंड कथित भक्त बनकर आये हुए हैं। वो भक्त जो निश्छलता पूर्वक ईश्वर की चाहना करने की कथित कामना करने का दावा करते हैं। 

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                             इंदौर से महाकुंभ में रोज़गार के लिए माला बेचने आई 16 वर्षीय मोनालिसा की तस्वीर ( फोटो साभार – सोशल मीडिया)

स्त्री समाज के किसी भी घेरे में हो, असुरक्षित ही होती है। अगर कोई कहे कि ऐसा नहीं है तो यह सबसे बड़ा झूठ है। आज कथित तौर पर विश्व के सबसे बड़े आस्था के पर्व महाकुंभ में जो एक नाबालिग के पीछे ललाहित पुरुषों का झुंड दौड़ रहा है…यह सबसे सटीक उदाहरण है, इस बात का कि एक स्त्री उस जगह भी सुरक्षित नहीं, जहां कथित आस्था होने की सांत्वना दी जा रही है। मोह, लालसा, अमानवीयता से परे होने की दुहाई दी जा रही है। 

16 साल की मोनालिसा, इंदौर से यूपी के प्रयागराज जिले में आयोजित महाकुंभ में अपने परिवार के साथ माला बेचने आई है, सबकी तरह रोज़गार के लिए, आमदनी के लिए। सोशल मीडिया का यह युग जहां निजता क्या होती है, किसी ने सीखा ही नहीं। कोई मोनालिसा का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालता है। कथित तौर पर फ़ैल रही जानकारी के अनुसार उसकी आंखे और प्राकृतिक सुंदरता की वजह से वीडियो वायरल हो जाती है। 

इसके बाद से ही तथाकथित तौर पर पर्व में आस्था के लिए आया पुरुषों का झुंड उसकी परछाई को पकड़ने का बहाना कर, उसके करीब पहुंचने की दौड़ में लग गया है। एक तस्वीर,एक पोस्ट और साथ मैं ‘सबसे सुंदर लड़की के साथ फोटो’ का कैप्शन, सबको चाहिए। सबको मतलब, वही कथित ललाहित पुरुषों का झुंड जो आस्था के लिए आया हुआ है। गंगा में डुबकी लगाए जा रहा है, और मैला हुए जा रहा है। 

जब मैनें कहा कि एक स्त्री समाज के किसी भी घेरे में सुरक्षित नहीं तो इसकी वास्तविकता का प्रमाण कथित पुरुषों का झुंड खुद ही दे रहा है। नाबालिग़ के पिता का झूठा नाम ले, अपने लालसा भरे देह के साथ टेंट में घुसकर कहता है कि पिता ने कहा है साथ तस्वीर के लिए, और जब भाई रोकने की कोशिश करता है तो कामना से भरे पुरुषों का समूह शारीरिक हिंसा पर उतर आता है। यह सब कुछ वहां हो रहा है जहां ये झुंड कथित भक्त बनकर आये हुए हैं। वो भक्त जो निश्छलता पूर्वक ईश्वर की चाहना करने की कथित कामना करने का दावा करते हैं। 

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कथित सुंदरता व सुंदर स्त्रियों के पीछे दौड़ते-मोह करते समाज के लोभी चेहरे सीमाएं नहीं रखते। वह असहज महसूस कर रही है, उसे खुद के साथ कुछ हो जाने का डर है – एक वायरल वीडियो में उसने कहा। लेकिन कथित भक्तों को उससे क्या? कुंभ का मुआयना कर रही प्रशासन को क्या? यह सब तो बस एक साधारण माला बेचने वाली नाबालिग़ लड़की के साथ हो रहा है, वह और उसका परिवार खुद ही अपनी सुरक्षा देख लेगा…. क्यों? 

जिसने डर और असहजता महसूस नहीं की, वह समूह वायरल वीडियो के ज़रिये नाबालिग़ के मशहूर होने का दावा कर रहा है। कह रहा है, यह उसकी ज़िंदगी बदल देगा। ज़ाहिर है, क्योंकि इस दौरान जो उसने हिंसा और लोभी पुरुषों के झुंड का सामना किया, यह उसके जीवन में हमेशा रहने वाला है। 

स्त्री की सुंदरता की कथित तस्वीर लिए समाज में बैठे समूहों की भीड़ समय-समय पर दिखाई देती है, जैसा हमने महाकुंभ में मोनालिसा के साथ होते हुए देखा। 

मैं फिर कहूंगी कि एक स्त्री की सुरक्षा का हवाला देता समाज का हर घेरा झूठा है, क्योंकि जब एक स्त्री के साथ कुछ होता है तो सबसे पहले पीछे हटने वाला भी वही होता है। कभी बहाना उसकी सुंदरता को लेकर दिया जाता है तो कभी उसकी आर्थिक और सामाजिक पहचान का। फिर स्त्री की सुरक्षा उसकी सामाजिक स्थिति पर छोड़ दी जाती है, चाहें वह किसी भी वर्ग व पहचान से आये। अंत में समाज के सब झूठ खत्म कर दिए जाते हैं क्योंकि खुद की लड़ाई वह खुद ही लड़ती है। 

 

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