खबर लहरिया जिला जनसँख्या नियंत्रण में महिलाएं पुरुषों से आगे, देखिये बोलेंगे बुलवायेंगे हंसकर सब कह जायेंगे

जनसँख्या नियंत्रण में महिलाएं पुरुषों से आगे, देखिये बोलेंगे बुलवायेंगे हंसकर सब कह जायेंगे

बोलेंगे बुलवाएंगे हंस कर सब कह जाएंगे शो में एक बार फिर आपका बहुत-बहुत स्वागत हैl फिर से हाजिर हूँ मैं कुछ अटपटी-चटपटी बातों के साथ कुछ अनकही अनसुनी बातो के साथ और हां नारीवादी चश्मा लगाकर l

दोस्तों इस बार मेरे शो का मुद्दा है विश्व जनसंख्या दिवसl विश्व जनसंख्या दिवस’ वर्ष 1987 से मनाया जा रहा है। 11 जुलाई, 1987 में विश्व की जनसंख्या 5 अरब को पार कर गई थी। तब संयुक्त राष्ट्र ने जनसंख्या वृद्धि को लेकर दुनिया भर में जागरूकता फैलाने के लिए यह दिवस मनाने का निर्णय लिया। तब से इस विशेष दिन को हर साल एक याद और परिवार नियोजन का संकल्प लेने के दिन के रूप में याद किया जाने लगा। अनचाहे गर्भ और लिंक भेदभाव को रोकने के लिए गर्भ निरोधक के लिए जागरूक करते हैं।

सवाल ये है की जब बच्चे पैदा करने में महिला पुरुष बराबर के भागीदारी हैं तो अनचाहे गर्भ को रोकने मे जो तरीक़े हैं वो सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी ही क्यों? आइए जानते हैं हम लोगों से ही।

महिलाओं से सवाल

– आपके बच्चे कितने हैं?
– क्या इस्तेमाल करती थी बच्चों मे अंतर के लिए?
– अच्छा बच्चे न हो उसके लिए क्या इस्तेमाल करती थी?
– आपके पति क्या यूज करते थे?
– पति क्यों नहीं यूज करते? क्या बच्चे सिर्फ महिला ही से पैदा होते इसमें पति का कोई रोल नहीं होता?

पुरुषों से सवाल

– आपके बच्चे कितने हैं?
– अच्छा तो बच्चों के गैप के लिए कुछ इस्तेमाल किया होगा मेरा मतलब कोई दवा वगैरह?
– ओह पत्नी इस्तेमाल करती हैं आप क्यों नहीं करते?
– बच्चे न होने पर रोक लगाने के लिए सब महिला को ही करना होता है उसके लिए पूरूष कुछ करते हैं आपने कभी कुछ किया?

टिप्पणी

ये है जागरूकता इतने सालों जनसंख्या दिवस मनाया जाता है लेकिन पुरुष आज भी इन बातों से अनजान हैं पुरुष आज भी जागरूक नहीं हैं। या ये कहे की जानबूझकर हर नियम कानून सिर्फ महिलाओं के लिए है वैसे तो हमारा समाज बच्चों के बाप को मां ज्यादा हकदार मानता है। तो फिर बच्चे न पैदा हो तो मां बांझ बच्चे ज्यादा पैदा हो रहे हैं। तो मां जिम्मेदार, बच्चे पैदा होने पर रोक लगाना है गैप रखना है तो भी मां की जिम्मेदारी है वो किस तरह अपने गर्भ को रोके। और यहां पर सिर्फ समाज की बात नहीं है इसमें स्वास्थ्य विभाग भी जिम्मेदार है तभी तो आज तक पुरूष नसबंदी कैंप में पुरुष नहीं होते नसबंदी भी सिर्फ़ महिलाएं ही कराती हैं।

जो भी गर्भनिरोधक दवाएं हैं वो भी सिर्फ महिलाओं के लिए हैं, और आशाबहू एनम आंगनबाड़ी ये सब महिलाओं को ही जागरूक करती हैं। और उन्हीं पर प्रेशर होता है और इतना कुछ करने के बाद भी महिला अगर गर्भवती हो जा जाती है तो चुपके चोरी पति ही उन्हें गर्भपात की दवा लाकर देते हैं जिससे ज्यदातर महिलाओं को अपनी जान की बाजी लगानी पड़ती है। उस दवा से बिलिडिंग जल्दी रूकती नहीं ऐसे मे महिलाओं के स्वास्थ्य और जान दोनो का खतरा होता है।

क्यों नहीं पुरूषों को जागरूक किया जाता क्यों नहीं उनके लिए?
कोई पुरुष रखा जाता जो उन्हें नसबंदी कन्डोम के बारे मे जागरूक करे। ये विश्व जनसंख्या दिवस उस दिन उस साल सही मायने से मै समझूंगी जब महिला पुरूष दोनो बराबर जनसंख्या निर्नतण के लिए गर्भनिरोधक का उपयोग करें। और नसबंदी मे भी बराबरी की भागीदारी पुरूषों की भी हो।

तो दोस्तों कैसा लगा आज का मेरा ये शो अगर आपको मेरा ये शो पसंद आया हो तो लाइक करे सबस्क्राइब करे और शेयर करे। एक बात जिसका मुझे इन्तजार रहता है वो हैं आपके कमेंट तो कमेंट करके जरूर बताएं और अगर हैं आपके पास कोई ऐसे मुद्दे मुझे बताएं मै अपने शो मे जरूर आपके मुद्दे को दिखाऊंगी तो चलती हूँ मैं फिर आऊंगी एक नये मुद्दे के साथ नारीवादी चश्मा लगा कर।

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