नारी और नेतृत्व :नारी शब्द ही एक सुकुमारी कोमलांगी का बोध कराता है। घर की चहारदीवारी के भीतर दिन-रात चलती-फिरती एक काया। क़दमों में चंचलता, माथे पर शिकन और मन में बनते बिगड़ते अनगिनत सपने….
आज की नारी का सफर चुनौती भरा जरुर है, पर उसमें चुनौतियों से लड़ने का साहस आ गया है। अपने आत्मविश्वास के बल पर दुनियां में नई पहंचान बना रही है। नारी के बढ़ते कदम आसमान के ऊंचाईयों को छू रहे हैं। अपने कैरियर और जीवन के हर क्षेत्र में नारियां पुरुषों के साथ बढ़-चढ़ कर भाग ले रही हैं। इसके बावजूद भी आज देश-विदेश में महिला उत्पीड़न का ग्राफ़ बढ़ता जा रहा है। तरह-तरह की पीड़ा, हत्या और आत्महत्याओं का दौर थम नहीं रहा है। महिलाओं की सहजता, सहनशीलता और संकोच के स्वाभाव को कमजोर समझा जा रहा है जबकि अब बहुत ही आम बात के रूप में ये स्वीकार किया जाने लगा है कि नारियां हर क्षेत्र में पुरुषों से बहुत आगे हैं।
राजनीति, बिजनेस, खेलकूद जैसे हर क्षेत्र में महिलाओं द्वारा स्थापित कीर्तिमान यह बताता है कि महिलाओं के बढ़ते बदलाव के कदम अब रोंके नहीं जा सकते हैं। देश को ईमानदार और ख़ुशहाल बनाने के लिए महिलाओं के हाथ में देश का नेतृत्व सौंपा जाना समय की बुलंद आवाज है।
शहरों और महानगरों को छोड़ दें तो गांवों में अभी भी ज्यादा स्थिति नहीं बदली है। लड़कियों को इतनी स्वतंत्रता नहीं है कि वे अपने लिए स्वतंत्र निर्णय ले सकें। एक तरह से उन्हें हर निर्णय के लिए अभिभावकों का मुंह देखना पड़ता है और हर कदम आगे बढ़ाने के लिए उनकी सहमति लेनी पड़ती है।
बचपन से ही ये एहसास दिलाया जाता है कि वहबएक लड़की है और उसे एक सीमित दायरे में ही कैद रहना है तथा जितनी उडान उनके माँ-बाप चाहें बस उतना ही उड़ना है। बचपन माता-पिता के अनुसार ही गुजारना पड़ता है।
गाँवो में अभी भी लड़की की सहमति या असहमति से कोई मतलब नहीं होता और शहरों में भी कुछ ही परिवार उन्नत विचारों और मानसिकता वाले हैं जो एक सीमा तक पढाई-लिखाई और नौकरी करने की आजादी देते हैं। अभी भी शहर से बाहर जाकर नौकरी बहुत कम लड़कियां कर पाती हैं। यह प्रारम्भिक कमजोरी मन पर सदैव हावी रहती है जिससे वे कोई ठोस निर्णय नहीं ले पाती तथा दब्बू प्रवृति की बन जाती हैं।
इतने बंधन और रोकटोक के बाद भी महिलाएं शिक्षा, स्वास्थ्य, राजनीति और दुनिया के हर क्षेत्रों में महिलाएं आगे आई हैं। आज देश दुनिया के हर क्षेत्र में महिलाओं का डंका बज रहा है।
नारी और नेतृत्व के जुड़ी दो पंक्ति
नारी सशक्ति की याद का जश्न मना रही महिलाएंतुम शसक्त बनो, निड़र बनो और समाज का दर्पण बनो
नारी उड़ो तुम खूब उड़ो, अपना पंख पसार, यश फैलाओ इतना, जितना फैला संसार