Chunavi Bukhar Savdhan, Loksabha Election 2019, Hindi News
चुनावी माहौल में राजनीतिक लोगों का ऐक दूसरे पर कीचड़ उछालना, निजी जिन्दगी में कमेन्टबाजी करना क्या साबित करता है। नेताओं का चुनावी प्रचार, सम्बोधन इसी पर निर्भर होता दिखाई दे रहा है कि अपने बयान में दूसरे नेता और पार्टी के लिए कितने अभद्र शब्द यूज किए जा रहे हैं। नेताओं की भाषणबाजी में जब तक जनता हंसते हंसते लोट पोट न हो जाए तब तक अच्छा नेता नहीं समझा जाता। ऐसे में चिन्ता का विषय बनता जा रहा है कि क्या ऐसे लोग देश की बागडोर सम्भाल पाएंगे? अब तो आदत सी हो गयी है कमेन्ट करना
5 मार्च 2019 को बांदा चित्रकूट हास्य-व्यंग्य कलाकार राजू श्रीवास्तव आए थे भारतीय जनता पार्टी की स्वच्छता संकल्प अभियान का प्रचार और सम्बोधन करने। उन्होने मुद्दे पर बात तो नहीं की पर कांग्रेस पार्टी की तरफ इशारा करते हुए बोले कि जो भी सर्जिकल स्ट्राइक का सुबूत मांगे उसको बोरा में भरकर मारो। ये कोई पूंछे कि किसने सिखाया तो बोलना राजू श्रीवास्तव ने। अगली बार सर्जिकल स्ट्राइक के समय सबूत मांगने वालों को प्लेन के इंजन में बाधकर ले जाना चाहिए।
इतना ही नहीं राजनीतिक लोग ऐक दूसरे को जाति, धर्म, नस्ल और लिंग पर आधारित कमेंट करते हैं। हमने बहुजन समाजवादी पार्टी सुप्रीमों मायावती का ट्वीटर देखा। वहां पर देखने को मिला कि उनके लिए काफी आपत्तिजनक और अभद्र कमेंट किए जाते हैं। गाली गलौज, उनके रंग और भाषण में पढ़ कर बोलने पर बहुत कमेंट किए जाते हैं।
हमारी रिपोर्टिंग का अनुभव कहता है कि इस तरह का भेदभाव और गैर बराबरी की हरकतें बयान्बाजी करके आत्मसम्मान में ठेस पहुंचाई जाती है। ये ठेस पहुचाना कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है जिसकी सजा भी दी ज सकती है। वैसे भी जो दलो दिमाग से स्वास्थ होते हैं वह ऐसी भाषा का प्रयोग कतई नहीं करता।
आगे की स्टोरी देखने के लिए वीडियो देखें