जैसे ही हमें नए साल पर कोई ग्रीटिंग कार्ड देता था सबसे ज़्यादा उत्सुकता इस बात की होती थी कि कितनी खूबसूरती से उसके अंदर मेरी दोस्त ने कितने प्यार प्यारे अल्फ़ाज़ों को अपनी कलम के ज़रिये उस कागज़ के टुकड़े में सजाया है। और फिर आ गया मोबाइल फोन और इंटरनेट का ज़माना, और नए साल पर ग्रीटिंग कार्ड देने के इस चलन की जगह ले ली फ़ॉर्वर्डेड मेसेजस ने। एमोजिज़, मीम्स और फोटो के इस ज़माने में हम भी अपने अपनों को ग्रीटिंग कार्ड देना मानों भूल ही गए।
हाँ, ये सच है कि बदलते समय के साथ हमें भी बदलना चाहिए लेकिन इस नए साल पर किसी अपने की हैंडराइटिंग में लिखा एक छोटा-सा खत तो हम भी deserve करते हैं। है न?
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