सफाईकर्मियों के साथ रिपोर्टर की दिनचर्या व अनुभव की स्टोरी : मेरे दिन की शुरुआत सुबह 5:00 बजे से ही हो जाती है। उठकर घर का सारा काम किया और 9 बजे तक तैयार होकर फील्ड के लिए निकल गयी। जिन लोगों से मिलने पहुंची, वहां पहुंचकर पता चला कि वह लोग वहां नहीं है। फिर मैंने दूसरी जगह तलाश करना शुरू किया और काफी पैदल भी चली। कुछ लोग मिले जिनसे थोड़ी बहुत बातचीत की और उनके बारे में जानें। लोगों ने बताया कि समाज में कोई उन्हें महत्व नहीं देता, इज़्ज़त नहीं देता है। सरकार भी उन पर ध्यान नहीं देती है।
ये भी देखें – सफाई का काम आज भी दलित के हिस्से क्यों?
इसके बाद मैं एक कॉलोनी में गयी, उसकी हालत कुछ खासा ठीक नहीं थी। लोगों ने बताया कि इंदिरा गांधी आवास योजना के तहत उन्हें कॉलोनी मिली थी तब से ही वह लोग यहां रह रहे हैं। आरोप लगाते हुए कहा कि कॉलोनी की तरफ कोई ध्यान नहीं देता। यहां सुविधाओं की बहुत कमी है। बाकी जानिये, हमारे blog में।
ये भी देखें – हमीरपुर: बनने से पहले ही कूड़े के ढेर में तब्दील हुआ कूड़ा प्लांट
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’