तकरीबन 100 वर्षों से भी पुरानी लखनवी चिकनकारी पूरे विश्व में मशहूर है। दूर-दूर से लोग लखनऊ आते हैं चिकनकारी के कपड़े और सूट खरीदने। पर अचानक से इस कढ़ाई की चमक काम होती दिखाई पड़ रही है। लखनऊ की महिला कारीगरों का कहना है कि वे बचपन से यही काम करती आ रही हैं और उन्हें बहुत ख़ुशी होती है जब लोग उनके काम को सराहते हैं।
कोरोना महामारी के कारण इसकी बिक्री में बहुत कमी आई है। चिकनकारी कारीगरों को अपने ज़ेवर, और घर गिरवी रख के गुज़ारा करना पड़ रहा है क्यूंकि ज़्यादातर बुटीक, दुकानें बंद रहती हैं और अगर खुलती भी हैं तो वहां चिकनकारी की इतनी मांग नहीं आती। एक महिला ने बताया की वह सिर्फ 40 से 50 रूपए रोज़ का कमा पाती हैं जिससे उनके परिवार का बिल्कुल भी गुज़ारा नहीं हो पाता। उनका कहना है कि शायद महामारी ख़तम होने के बाद जब जीवन पटरी पर लौटे तो शायद यह काम वापस से अपनी पकड़ बना ले।