बुन्देलखण्ड हो या कोई और शहर लेकिन ज्यादातर एटीएमों की स्थिति बहुत ही दैनिए दिखाई देती है| एक तरफ अधिकतर एटीएम मशीन खराब होने के कारण बंद पडे होते हैं,तो दूसरी तरफ खाली नजर आते है| जिसके चलते आम जनता को भटकना पडता है और मशीने शोपीस बनी जिले या क्षेत्र की शोभा बढाती है| जबकि सरकार मेक इन इंडिया का सपना दिखाती है और यह कहती है कि हर काम टेक्नोलॉजी और इंटरनेट के जरिए होगा| लेकिन सच्चाई ये है कि इंटरनेट व्यवस्था अधिकतर ध्वस्त नजर आती है| जिसके चलते लोगों को बैंकों के बाहर लंबी लाइन लगानी पड़ती है|
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जब हमने इस पर कवरेज किया और लोगों से जाना तो लोगों का कहना था, कि एटीएम तो बहुत सारे लगे हैं, लेकिन ज्यादातर एटीएम नाम के लिए लगे और उनके बाहर अधिकतर पोस्टर लगा रहता है कि यह एटीएम काम नहीं कर रहा है खराब है| उनको इमरजेंसी में इधर-उधर भटकना पड़ता है और दिक्कतें होती है| क्योंकि अगर वह लोग बैंक भी जाते है तो वहां सरवर की दिक्कत या कुछ और तकनीकी प्रॉब्लम बताई जाती है|
जिससे उनको समय रहते इमरजेंसी में करने वाले व्यवस्था नहीं मिल पाती है, काफी परेशान होते रहते हैं| उनका कहना है की सरकार ने मेक इन इंडिया का सपना तो दिखाया,लेकिन सपना देखने से क्या होता है| जो हो रहा है पूरी तरह से लोगों को उसका लाभ मिलना चाहिए तभी तो वह माने गे मेक इन इंडिया का सपना पूरा हुआ है|
लोगों का ये भी कहना है की जब से एटीएम मशीन की सुविधा हुई तब से यह था की एटीएम कार्ड पास में है तो मानो हमारा पैसा हीहै और लोग आगे से पैसा रखने की जरुरत नहीं समझते थे| लेकिन अगर इमरजेंसी में आओ तो हमेशा भटकना पडता एटीएम मशीन का कोई ठिकना नहीं है सिर्फ दिखावा है|
बांदा क्षेत्रिय आर्यावर्त बैंक के सीनियर मैनेजर शैलेन्द्र कुमार क कहना है की इसका काम चल रहा है जनवरी 2021 तक हो सकता है चालू हो जाये| बैंक के बदलाव के कारण बंद हो गये थे|
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