मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की खूबसूरती देखने और शेर चीतों एवं अन्य जीव-जंतुओं को देखने दूर-दराज़ से लोग आते हैं। यहां पर सफारी में सैर भी करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि खूबसूरती का अस्तित्व आज खतरे में है। केन बेतवा गठजोड़ परियोजना के अंतर्गत पन्ना टाइगर रिजर्व का लगभग 25% से ऊपर हिस्सा डूब क्षेत्र में जा रहा है। और आप समझ सकते हैं कि अगर यह हिस्सा डूब क्षेत्र में चला गया तो यहां पर रहने वाले तरह-तरह की प्रजाति के पक्षी और पशु जीव-जंतुओं का बसेरा नष्ट हो जायेगा।
विश्व भर में लुप्त हो रही वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की प्रजातियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है। लेकिन इन दिवसों को मनाने का क्या फाएदा जब सरकार खुद ही इन जीव-जंतुओं के घर उजाड़ रही है।
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पन्ना टाइगर रिज़र्व के आसपास रह रहे लोगों को भी यही चिंता सताए जा रही है कि अगर इस रिज़र्व का कुछ हिस्सा डूब क्षेत्र में चला जाता है तो यहाँ मौजूद पशु-पक्षियों का क्या होगा? साथ ही यहाँ लगे वन वनस्पति भी पूरी तरह से नष्ट हो जायेंगे।
इस मामले में जब हमने पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा कि पन्ना टाइगर रिजर्व की 5500 वर्ग फुट जमीन केन बेतवा गठजोड़ परियोजना के डूब क्षेत्र में जा रही है लेकिन उसके बदले सरकार उन्हें 6000 वर्ग फुट जमीन देने के लिए तैयार है। जितनी जमीन उनकी जाएगी उतनी वह आगे बढ़ा लेंगे जिसमें नए पेड़ पौधे भी लगाएंगे और जो पशु पक्षी हैं उनका बसेरा भी रहेगा।
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