अमूमन महिलाओं को कहा जाता उनके पास काम ही क्या है, वो तो फ़ालतू रहतीं हैं। घर में काम ही कितना होता है। जब देखो गपशप करती रहती हैं। ग्रामीण भाषा में कहेंगे चऊरा करती हैं, चुगली करतीं हैं।
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जबकि महिलाओं के पास इतना काम होता है कि वो सुबह से उठकर पहले बच्चों के स्कूल जाने की तैयारी करतीं हैं। फिर नाश्ता बनाना, टिफिन के लिए अलग से कुछ बनाएंगी, पति अगर काम पर जा रहा है उसके लिए भी नाश्ता बनाना, उसका टिफिन तैयार करना, घर के काम करना। मशीन की तरह औरत सुबह से इतने सारे काम की जिम्मेदारी निभाती चली जाती है।
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