दोस्तों फिर से हाजिर हूँ मैं कुछ अटपटी चटपटी कुछ अनकही अनसुनी बातों के साथ और हां नारीवादी चश्मे के साथ।
दोस्तों इस बार मेरे शो का मुद्दा है महिलाओं का काम चाहे वो नौकरी वाली हो या हाउस वाइफ यानी घरेलू औरत कभी भी महिलाओं के काम को काम नहीं समझा जाता। अगर महिला नौकरी करती है तब भी उसे अपनी घर ग्रहस्थी संभालनी पड़ती है। अगर महिला ग्रामीण स्तर से है घरेलू है तब उसे सुबह से लेकर शाम तक काम करना है। घर, खेत जानवर बच्चे परिवार सारी जिम्मेदारी होती है उसके बाद कहा जाता है तुम काम ही क्या करती सारा दिन घर मे ही तो रहती हो। जबकि महिलायें लगभग 16 से 18 घंटे काम पर होती हैं। मतलब की पूरूषो की नजरों मे महिलाओं का काम काम ही नहीं होता।
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अगर गिनती गिनी जाए तो एक दिन मे दसियों काम है अगर सिर्फ एक एक काम के लिए पैसों मे एक एक घंटे कही काम करेंगी तो वो भी पैसा कमा सकती हैं लेकिन फिर क्या होगा क्या पुरूष अकेले घर नौकरी सम्भाल सकते हैं?
जितना काम महिलाएं करती हैं पुरूष कभी नहीं कर सकते लेकिन फिर भी महिलाओं के काम को महत्व नहीं देते ऐसा नहीं की समझ नहीं रहे जानबूझकर कर ऐसा करते हैं महिलाओं को नीचा दिखाने के लिए और अपने पुरूष सत्ता को लागू रखने के लिए। तो दोस्तों कैसा लगा आपको मेरा ये शो अगर आपको मेरा ये शो पसंद आया हो तो लाइक करें सब्सक्राइब करें कमेंट बाक्स में जाकर कमेंट जरूर करें। ताकि मुझे पता चले की आपको मेरा ये शो कैसा लगा? तो चलती हूँ मै फिर आऊंगी एक नये मुद्दे के साथ नारीवादी चश्मे के साथ।
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