कभी सोचा, हमेशा लड़कियों की ही विदाई क्यों होती है? या ये इतना साधारण हो गया है देखना और मानना कि कभी इस तरह से सोचा ही नहीं। अगर कभी ख्याल आया भी हो तो कहीं यह कहकर तो नहीं हटा दिया कि समाज की तो यही रीत है। अब इसी रीत के बारे में जानते हैं, समाज से ही।
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