आदिवासी महिलाओं के नाम न मायके में जमीन, न ससुराल में हक — सिर्फ राशन कार्ड ही पहचान बनकर रह गया है। ये महिलाओं के भूमि अधिकारों पर सीधा हमला है। क्या महिलाओं को ज़मीन पर अधिकार नहीं मिलना चाहिए?
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