छतरपुर। नौकरशाही इतनी हावी है कि जनतंत्र की गरिमा को पैरों तले रौंदने में तनिक भी संकोच नहीं किया जाता। जनता का प्रतिनिधि यदि किसी कार्यवाही के लिए अधिकारियों से कहता है तो उन्हें अपनी बेइज्जती करवानी पड़ती है। कुछ ऐसी ही परिस्थिति से जिला पंचायत अध्यक्ष को गुजरना पड़ा। विगत दिनों निरीक्षण करने में मिली खामियों पर कार्यवाही के लिए जिला पंचायत सीईओ हिमांशु चन्द्र से कार्यवाही के लिए प्रतिवेदन दिया था लेकिन जब उन्होंने कार्यवाही नहीं की और अध्यक्ष ने इस पर सवाल पूछा तो कलेक्टर के चेम्बर में ही सीईओ ने अध्यक्ष की बेइज्जती कर दी। दलित महिला अध्यक्ष ने जिला पंचायत सदस्यों के साथ प्रदर्शन कर नारेबाजी की और सीईओ का पुतला फूंका।जिला वाराणसी में प्यास बुझाने के लिए इधर उधर भीख की तरह मांगते है पानी देखिये
जनपद पंचायत अध्यक्ष कलावती अनुरागी ने बताया कि कुछ समय पहले उन्होंने कुछ छात्रावासों का औचक निरीक्षण कर वहां मिली खामियों के जिम्मेदारों के खिलाफ कार्यवाही के लिए प्रतिवेदन दिया था। जनपद पंचायत सीईओ ने पूर्व में 8 दिन में कार्यवाही की बात कही थी लेकिन जब समय निकल गया और कार्यवाही नहीं हुई तो उन्होंने फिर से कार्यवाही के लिए कहा। सीईओ कलेक्टर के चेम्बर में थे और उनसे कार्यवाही के लिए कहा गया तो वे अभद्रता पर उतारू हो गए। जिला पंचायत सीईओ की इस हरकत से महिला अध्यक्ष काफी आक्रोशित हुईं। वे सदस्यों के साथ चेम्बर के बाहर निकलीं और पण्डाल लगाकर धरना शुरू कर दिया। जिला पंचायत सीईओ के जमकर मुर्दाबाद के नारे लगाए गए। प्रदर्शन के बाद सीईओ की फोटो को जूते की माला पहनाकर उनका पुतला फूंका गया। जिला पंचायत सदस्य गोविंद सिंह का कहना है कि सीईओ का रवैया तानाशाहीपूर्ण है। अब तक किसी भी सीईओ द्वारा दलित महिला अध्यक्ष का अपमान नहीं किया गया। जब तक इस सीईओ के खिलाफ कार्यवाही नहीं होगी तब तक वे किसी बैठक में शामिल नहीं होंगे।