कोविड के दौरान मछुआरों के काम को बन्द करा दिया गया था , ना तो कोई उनको मदद मिली थी ना ही कुछ आर्थिक सहायता। मछुआरों की पूरी जिंदगी अपने कारोबार पर टिका होता है ऐसे में अगर उनका ये रोजगार छिन जाये तो सड़क पर आ जाते हैं।
मछुआरों का कहना है कि कोविड के दौरान मछुआरों के काम को बन्द करा दिया गया था. ये कह कर कि इससे कोरोना वायरस ज्यादा फैलता है पर अभी काम चालू करा दिया गया है. लेकिन अभी भी हम लोगों की स्थिति वैसी है. क्योंकि कुछ मछुआरों का कहना है कि मछलियां ही नहीं मिल रही है और कुछ का कहना है कि काम ठीक से नहीं चल रहा है |
मछुआरों से ये पूछने पर कि सरकार का कहना है कि गंगा मैली आप की वज़ह से हो रही है?
तो कहते हैं कि गंगा मैली हमारे वज़ह से नहीं हो रही है गंगा मैली किसानों लोगों की वज़ह से फैक्टरी की वज़ह से हो रही है. हम लोग तो घाट और गंगा की साफ सफाई करते हैं। मछुआरों का ये भी कहना है कि मछली मारना हमारा पुशतैनी काम है जो हमारे दादा परदादा के जमाने से करते आ रहे हैं पर आने वाली पीढ़ी अपने बच्चो को ये काम नहीं कराना चाहते हैं। उन्हे पढाना चाहते हैं उन्हे कुछ बनाना चाहते हैं क्यों कि अब हमारा ये काम एक बन्द हो ने के कागार पर है। कोविड के दौरान हम लोगों का काम बन्द हो गया था हम लोगों की बहुत बुरी स्थिति आ गयी थी. क्योंकि सरकार हमे लोगों को कुछ सहायता भी नहीं की बस वही पांच किलो गेहूं और चावल मिलता था. इसके अलावा कुछ नहीं मिलता बाद में मनरेगा का काम शुरू हुआ तो उसमे भी ठीक से काम नहीं कर पा रहे थे |
हम तो सरकार से यही चाहते हैं कि हम लोगो को भी कही रोज़गार दे और कुछ सहायता करे ये मोदी जी का संसदीय क्षेत्र होने के बावजूद कोई मदद नहीं मिलती है इस मामले में जब हमने डीएम कौशल राज शर्मा से बात करनी चाही तो उनहों ने आफ कैमरा सिर्फ इतना बोला उन लोगों का काम चालू हो गया है अब कोई दिक्कत नहीं है |