जिला बांदा: 2 जुलाई सुबह साढ़े ग्यारह बजे दर्जनों महिला पुरूष समाज सेविका शालिनी पटेल की अगुवाई में डीएम कार्यालय जा पहुंचे। जिलाधिकारी के नाम डिप्टी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। वह लोग शहर से सटे गांव हटेटीपुरवा से आये थे। सभी सरकार और जिला प्रशासन विरोधी नारे लगाते हुए न्याय की गुहार लगाई। लोगों का आरोप था कि बिना नोटिस दिए जिला प्रशासन ने उनके घरों में बुल्डोजर चलवा गृहस्थी तहस नहस कर दी यह कहते हुए कि वह अवैध कब्जा किये हुए हैं।
ज्ञापन देने आई चुनकीवा देवी, मोती देवी और लल्लू प्रजापति ने बताया कि वह लगभग 25-30 साल से वहां रह रहे हैं। लगभग 40-45 हर हैं। सभी जाति के लोग रहते हैं लेकिन बाहुल्य प्रजापति जाति की है, सभी मजदूर हैं। किसी तरह से परिवार पाल रहे हैं। ऐसे में प्रशासन ने 17 दिसम्बर 2020 को बगैर सूचना या नोटिस दिए उनके घर बुल्डोजर से गिरा दिया। साथ ही दो हैंडपंप भी उखाड़ लाई। वहां पर विरोध किया घर गिराने का तो पुलिस ने महिलाओं के साथ भी मारपीट की है। मौके में अधिकारी मौजूद थे। तब से गर्मी और बारिश पन्नी डाल कर गुजार रहे हैं। सांप बिच्छू का डर हमेशा लगता है चाहे बच्चे हों या बड़े। कई बार प्रशासन को दरखास दे चुके लेकिन कार्यवाही नहीं हुई। तहसीलदार बांदा व चकबंदी लेखपाल व हल्का लेखपाल कानूनगो ग्राम प्रधान पुलिस फोर्स को लेकर बिना नोटिस सूचना के मकानों को ध्वस्त करा दिया गया। हमारा यह मामला जिला अदालतों से लेकर माननीय उच्च न्यायालय तक विचाराधीन होने के बाद भी यह घटना की गई। उप जिला अधिकारी मजिस्ट्रेट व तहसील द्वारा आश्वासन दिया गया था कि जब तक सभी लोगों को आवासी भूमि उपलब्ध नहीं कराई जाएगी तब तक उक्त स्थान से हटाया नहीं जाएगा।
समाज सेविका शालिनी पटेल द्वारा दिये गए शिकायत पत्र में कहा गया है कि 3 दिन में अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो उग्र आंदोलन करेंगे जिसका जिम्मेदार जिला प्रशासन खुद होगा।
कोविड से जुड़ी जानकारी के लिए ( यहां ) क्लिक करें।