बोलेंगे बुलवाएंगे हंस सब कह जाएंगे। समाज में आज भी रूढ़ीवादी सोच के ज़रिये महिलाओं के साथ भेदभाव हो रहे हैं। उन्हें बराबरी का दर्जा न मिलना या स्वतंत्र न महसूस कर पाना परंपराओं के नाम पर महिला पर बंदिशें लगाने जैसे मुद्दों से हम आपको रूबरू कराते हैं।
इस बार भी ऐसा ही मुद्दा मैं आपके लिए लेकर आई हूं। मुस्लिम समाज की महिलाओं को बिंदी लगाने पर एक बड़ा मुद्दा बना देना। मुस्लिम समुदाय में भी बहुत सी रूढ़ीवादी सोच आज भी लागू हैं। अब अगर हम बात करेंगे छोटी सी बिंदी की जिसे महिलाएं माथे पर लगाकर अपनी सुंदरता बढ़ाती हैं। जो दुनिया बनने के सैकड़ों साल बाद किसी बिजनेस मैन के मन में आया होगा कि बिंदी का करोबार करना चाहिए जिससे उसका रोजगार चलेगा और उसके बाद महिलाओं के सोलह श्रंगार में एक बिंदी की और बढ़ोतरी हुई होगी।
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समाज के मुस्लिम समुदाय ने यह तय कर लिया कि बिंदी हिंदू सामुदाय की महिलाओं के लिए है इसे मुस्लिम महिलाएं नहीं लगा सकती। अगर लगाएंगी तो वह दोजख में जाएंगी, जहन्नुम में जगह नहीं मिलेगी, दोजख में जलेंगी वगैरह-वगैरह। कई तरह के भ्रम फैलाने शुरु कर दिए। इतनी सी बिंदी को लेकर के इतनी बातें बनाई कि महिलाओं के दिल में डर पैदा कर दिया। मरने के बाद उनका क्या होगा? उनका माथा काटा जाएगा। कब्र में सजा मिलेगी और यह सब डर से महिलाओं ने मिंदी लगाना छोड़ दिया। या यह कहें कि बिंदी लगाई ही नहीं। किसी भी किताब में ही नहीं लिखा है जिसने भी लिखा होगा तो लिखने वाले हम जैसे ही इंसान होंगे। तो समाज से उन्हें बहुत कुछ बातें सुनने को मिली यहां तक कि उनके चरित्र पर भी उंगली उठाई जाती है।
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