चुनावी रणनीति का बॉस कौन ? चुनावी बुखार सावधान !
मीरा- नमस्कार दोस्तों मैं मीरा देवी
लक्ष्मी- और मैं हूं लक्ष्मी शर्मा। हम एक बार फिर हाजिर हैं यूपी पंचायत का खट्टे मीठे अनुभव वाला बुखार लेकर
मीरा- हमारे शो चुनावी बुखार सावधान में एक बार फिर से आपका बहुत बहुत स्वागत है। लक्ष्मी इस बार मैं बहुत नाराज हूं और चुनाव का कोई गरमागरम बुखार नहीं सुनाने वाली।
लक्ष्मी- क्यों? अरे गुस्सा छोड़िए और गुस्से का कारण बताइए
मीरा- लक्ष्मी तुम्हें नहीं लगता कि राज्य निर्वाचन आयोग ऐसा निर्णय क्यों नहीं ले पा रहा कि चुनाव रुक जाए।
लक्ष्मी- हां ले सकता है। उसको पूरा पावर है लेकिन ऐसा निर्णय क्यों ले।
मीरा- कोरोना की स्थिति को काबू पाने के लिए। अच्छा तुम ही बताओ चुनाव जरूरी है या लोगों की जान।
लक्ष्मी- मेरे लिए तो लोगों की जान जरूरी है लेकिन चुनाव आयोग और पार्टियों के लिए चुनाव
मीरा- पार्टियों को क्यों जोड़ दिया। इससे पार्टियों का क्या लेना देना। यह तो व्यक्तिगत चुनाव है पार्टी विशेष का नहीं।
लक्ष्मी- फिर बताइए ये पार्टियां क्या कर रही हैं यहां पर। खासकर प्रधान पद को छोड़कर बाकी में तो पार्टियां ही दावेदार हैं।
मीरा- पंचायत चुनावों में राजनीतिक दलों का खेल बताती हूँ। पार्टियों के लिए जिला पंचायत सदस्य और जिला पंचायत अध्यक्ष बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। एक जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष विधायक और सांसद से भी बड़ा माना जाता है, क्योंकि एक जिले में पंचायत अध्यक्ष एकलौता होता है, जबकि उसी जिले में एक से ज्यादा विधायक होते हैं। ऐसे में जिला पंचायत अध्यक्ष पर राजनीतिक दल दांव लगाते हैं। जिला पंचायत सदस्य पर इसलिए दांव लगाते हैं क्योंकि सदस्य पद पर जीतने वाला अध्यक्ष का चुनाव लड़ सकता है। और ये सीट उनके राजनीतिक कैरियर का द्वार खोल देती है। मतलब पप्पू पास हो गया।
लक्ष्मी- अच्छा…..। एक बात मैं फिर से दोहराउंगी कि चुनाव आयोग ने कोरोना की बिगड़ती स्थिति और कारण जानते हुए भी रोक क्यों नहीं लगा पाया। लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, प्रयागराज, गोरखपुर, आगरा और मेरठ में हालात भयावह हैं। अस्पतालों में बिस्तरों और ऑक्सिजन की कमी से लगातार यहां मरीजों की मौत हो रही है। योगी सरकार लगातार सब व्यवस्था दुरुस्त होने का दावा कर रही है पर हकीकत कुछ और ही है। सरकार की तरफ से जारी अस्पतालों और डॉक्टरों के नंबर पर लोग लगातार फोन कर रहे हैं पर इनमें से अधिकांश नंबर पर बात नहीं हो पा रही है।
मीरा- अरे लक्ष्मी ये बात खुले आम करोगी क्या। सब लोग सुन रहे हैं। तुम्हें क्या लगता है पहले तुम बताओ।
लक्ष्मी- ठीक है। इसलिए क्योंकि उसको अपने बॉस का आर्डर नहीं मिला। बॉस के आगे उसकी नहीं चली होगी। ऐसी बात नहीं है कि अंदर ही अंदर उसने बात नहीं की होगी लेकिन बेचारा…राज्य निर्वाचन आयोग को चुप रहना ही पड़ा।
मीरा- अच्छा ये बॉस कौन है, मैंने सुना है उसका बॉस राज्य की बड़ी अदालत होती है।
लक्ष्मी- हां ये तो सही है लेकिन यहां पर बॉस कोई और ही है।
मीरा- कौन?
लक्ष्मी- अरे रहने भी दीजिये, इशारा ही काफी है। है न दर्शकों…..देखिए वह समझ गए। और आप भी समझ गई होंगी। जान बूझ कर न बना करिए।
मीरा- अच्छा…..वो वाले……. अब कितनी बातें करोगी चलना नहीं है क्या।
लक्ष्मी- अरे हां, बातों में मग्न हो गई। फिलहाल वक्त हो चला है हमारे चलने का।
मीरा- हमारा शो पसन्द आया हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। अगर चैनल सब्सक्राइब नहीं किया हो तो अभी ही कर लें।
लक्ष्मी- ये चर्चा आपको कैसी लगी कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं।
मीरा- अगले एपिसोड में हम फिर मिलेंगे चुनाव के बुखार के साथ तब तक के लिए नमस्कार!