महाकुंभ बीत गया, लेकिन गंगा में गंदगी और उसे और भी ज़्यादा प्रदूषित कर गया। घाटों पर फूल, नारियल, लकड़ियां, प्लास्टिक और कपड़े बिखरे हैं। पानी में झाग, तेल की परत और मरी मछलियां तैर रही हैं। श्रद्धालु आस्था के नाम पर आए और लौट गए, लेकिन सवाल यह है कि अब सफाई का जिम्मा किसका है?
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