कांगो में जो वैरियंट फैला है उसका नाम क्लैड 1 बी ( Clade 1b ) है जिसकी प्रकृति काफी खतरनाक है। रिपोर्ट के अनुसार, इसकी मृत्यु दर 3% है जो मंकीपॉक्स के अन्य प्रकारों में देखी गई 0.1% की मृत्यु दर के बिल्कुल विपरीत है।
मंकीपॉक्स (Monkeypox) को विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) ने 14 अगस्त को वैश्विक खतरे के रूप में घोषित कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अंतर्राष्ट्रीय चिंता संबंधी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (public health emergency of international concern) के रूप में चिह्नित किया है जोकि डब्ल्यूएचओ द्वारा ज़ारी की जाने वाली चेतावनी का सबसे उच्चतम स्तर है।
जानकारी के अनुसार, “PHEIC एक असाधारण घटना है जो बीमारी के अंतरराष्ट्रीय प्रसार के माध्यम से अन्य राज्यों के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम पैदा करने के साथ-साथ संभावित रूप से एक समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की आवश्यकता के लिए निर्धारित है।”
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने बताया कि फिलहाल भारत में मंकीपॉक्स के कोई भी मामले दर्ज़ नहीं किये गए हैं।
अफ्रीका में मंकीपॉक्स को लेकर सबसे पहले आपातकाल की घोषणा
अफ्रीका सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा मंकीपॉक्स को महाद्वीप पर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने के एक दिन बाद डब्ल्यूएचओ ने भी इसे आपातकालीन घोषित कर दिया।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इस साल अफ्रीका में 14,000 से अधिक मामले और 524 मौतें हुई हैं, जिसने पहले ही पिछले साल के आंकड़े को पार कर दिया है। मंकीपॉक्स इस समय कम से कम 13 अफ्रीकी देशों में पाया गया है। अभी तक मंकीपॉक्स के 96 प्रतिशत मामले व मौतें सिर्फ एक ही देश से है, जिसका नाम है कांगो।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि मंकीपॉक्स की पहचान हाल ही में चार पूर्वी अफ्रीकी देशों: बुरुंडी, केन्या, रवांडा और युगांडा में पहली बार की गई थी। यह भी बताया कि जितने भी मामले सामने आये, उनका जुड़ाव कांगो में शुरू हुई महामारी से था।
कांगो में फैला Clade 1b वैरियंट
कांगो में जो वैरियंट फैला है उसका नाम क्लैड 1 बी ( Clade 1b ) है जिसकी प्रकृति काफी खतरनाक है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इसकी मृत्यु दर 3% है जो मंकीपॉक्स के अन्य प्रकारों में देखी गई 0.1% की मृत्यु दर के बिल्कुल विपरीत है।
भारत सरकार ने कुछ केंद्रीय अस्पतालों में की मंकीपॉक्स इलाज की सुविधा
भारत सरकार ने मंकीपॉक्स मामलों में वैश्विक वृद्धि को देखते हुए हवाई अड्डों, बंदरगाहों और सीमा अधिकारियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सफदरजंग, राम मनोहर लोहिया और लेडी हार्डिंग जैसे केंद्रीय अस्पतालों में संदिग्ध मंकीपॉक्स मामलों को लेकर अलग से सुविधा की गई है।
भारत व विश्व में अब तक मंकीपॉक्स के मामले
प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो द्वारा 17 अगस्त 2024 को ज़ारी प्रेस रिलीज़ अनुसार, WHO ने पहले जुलाई 2022 में मंकीपॉक्स को अंतर्राष्ट्रीय चिंता संबंधी सार्वजनिक स्वास्थ्य (PHEIC) आपातकाल के रूप में घोषित किया था। बाद में मई 2023 में इसे वापस ले लिया गया था। वैश्विक स्तर पर 2022 से, WHO ने 116 देशों में मंकीपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की हैं। WHO द्वारा 2022 की घोषणा के बाद से, मार्च 2024 में आखिरी मामले के साथ भारत में मंकीपॉक्स के कुल 30 मामले पाए गए थे।
मंकीपॉक्स को लेकर एम्स ने ज़ारी किये दिशा-निर्देश
दिल्ली के एम्स द्वारा मंकीपॉक्स के मामलों को लेकर दिशा-निर्देश ज़ारी किये गए हैं और इन मामलों को प्राथमिकता पर रखने को कहा है। एम्स द्वारा ज़ारी दिशा-निर्देशों के अनुसार जब भी किसी संदिग्ध मंकीपॉक्स मामले की पहचान की जाती है, इसके लिए एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (Integrated Disease Surveillance Programme) के अधिकारियों से संपर्क नंबर मांगा गया है जोकि 8745011784 है।
AIIMS Delhi issues protocol for handling patients with suspected Monkeypox. pic.twitter.com/7AZhZULNyz
— ANI (@ANI) August 20, 2024
मंकीपॉक्स कैसे फैलता है? / How monkeypox spreads?
प्रेस रिलीज़ के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने 17 अगस्त को मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में, यह नोट किया गया कि मंकीपॉक्स संक्रमण आमतौर पर 2-4 सप्ताह के बीच स्व-सीमित होता है। मंकीपॉक्स से ग्रस्त रोगी आमतौर पर सहायक प्रबंधन के साथ ठीक हो जाते हैं। वहीं संक्रमण के लिए लंबे समय तक किसी व्यक्ति के साथ निकट संपर्क की ज़रूरत होती है। यह आम तौर पर यौन मार्ग, शरीर/घाव के तरल पदार्थ, या संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों के सीधे संपर्क में आने से होता है।
सरल भाषा में समझा जाए तो –
- मंकीपॉक्स वायरस मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के घावों, द्रवों या संक्रमित वस्तुओं के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। यह वायरस हवा में आसानी से नहीं फैलता है।
- संक्रमित व्यक्ति के घावों को छूने से या उनसे निकलने वाले द्रवों के संपर्क में आने से भी यह वायरस फैल सकता है।
- संक्रमित व्यक्ति द्वारा छुए गए कपड़े, बिस्तर, बर्तन या अन्य वस्तुओं के संपर्क में आने से
- गर्भावस्था के दौरान या प्रसव के समय संक्रमित मां से बच्चे में यह वायरस फैल सकता है।
- यौन संबंध के दौरान भी यह वायरस फैल सकता है।
जननांगों पर भी मंकीपॉक्स का असर
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार जो नया वैरियंट है उसे इसलिए भी गंभीर बताया जा रहा है क्योंकि पिछले मंकीपॉक्स के मामलों के विपरीत, इस बार जननांगों पर घाव (जो मंकीपॉक्स संक्रमण में एक सामान्य घटना है) दिखाई दे रहे हैं। बताया गया कि इससे संक्रमण की पहचान करना मुश्किल हो जाता है। लोगों को पता ही नहीं चलता की वह संक्रमित है और यह संक्रमण दूसरों में भी फैल रहा है।
हमने पिछले कई मामलों में देखा है कि मंकीपॉक्स संक्रमण में घाव ज़्यादातर छाती, हाथ और पैरों में दिखाई देते हैं।
मंकीपॉक्स के लक्षण/ Monkeypox Symptoms
एमपॉक्स (Mpox), जिसे मंकीपॉक्स के नाम से भी जाना जाता है। यह मंकीपॉक्स वायरस के कारण होने वाला एक संक्रामक रोग है। मौजूदा रिपोर्ट्स के अनुसार, मंकीपॉक्स के मरीजों में फ्लू जैसे लक्षण, बुखार, खांसी, उल्टी आदि चीज़ें देखी जाती हैं। इसके अलावा उनके शरीर पर मवाद भरे दानेदार घाव निकलते हैं। कुछ लोगों को मलाशय (प्रोक्टाइटिस) के अंदर सूजन हो जाती है जिससे तेज दर्द हो सकता है, साथ ही जननांगों में सूजन आ सकती है जिससे पेशाब करने में कठिनाई हो सकती है।
मंकीपॉक्स से बचाव के लिए यह करें/ Prevention from Monkeypox
- संक्रमित व्यक्ति से जितना हो सके उतनी दूरी बनाए रखें।
- बार-बार साबुन और पानी से हाथ धोएं, खासकर किसी संक्रमित व्यक्ति या वस्तु को छूने के बाद।
- संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुओं जैसे कि बिस्तर, कपड़े, बर्तन आदि को न छुएं।
- संक्रमित व्यक्ति के घावों के संपर्क में आने से बचने के लिए अपनी त्वचा को ढकें।
- अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ यौन संबंध बना रहे हैं जिसे मंकीपॉक्स हो सकता है, तो सुरक्षित यौन व्यवहार का पालन करें।
- अगर आपको मंकीपॉक्स के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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