इस शो में अलग-अलग मुद्दे पर रूढ़ीवादी सोच समाज में जो सदियों से चली आ रही है, ऐसे ही मुद्दे को मैं आप तक पहुंचाने की कोशिश करती आ रही हूं और अपनी रिपोर्टिंग से दिखाती हूं कि आज भी किस तरह की सोच लोगों में बनी हुई है। इस बार का मेरे शो का मुद्दा है अच्छी औरतें समाज में कैसी मानी जाती हैं और समाज की नजरों में बुरी औरतें कौन कहलातीं हैं।
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हमने अपने शो के ज़रिये जानने की कोशिश की कि जो समाज में हमेशा से बुरी औरतों की कैसी छवि बनी हुई है व अच्छी औरतें को किस तरह से प्रतिबिंबित किया जाता है। इतना विकास होने के बाद, शिक्षित होने के बाद, इतनी जागरुकता लोगों में होने के बाद भी कोई खास फर्क नजर नहीं आया। आज भी समाज की नजरों में अच्छी औरतें वही है जो घर की चार दीवारी के अंदर रहे, परिवार वालों की हर तरह की बात माने चाहें वह सही हो या गलत हो, लेकिन उनकी बात मानती ही रहें। अगर वह आवाज उठाती हैं अपने हक और अधिकार के लिए तो वह समाज में बुरी औरतें कहलाती हैं। इतना ही नहीं उन औरतों को न जानें कितने तरह के कमेंट सुनने पड़ते हैं। कहा जाता है इनके तो पर निकल आए हैं, यह बिगड़ गई हैं, यह घर की बात बाहर लेकर जा रही है। अपने मन का करती हैं, यहां तक कि उनके चरित्र पर भी उंगली उठाई जाती है कि यह तो चरित्रहीन हो गई है। इनसे आसपास की महिलाओं को बचाना है, दूर रखना है, कहीं वह भी इन की तरह ना बन जाए। यह सब इसलिए सुनना पड़ता है क्योंकि अगर महिला जागरूक है, पढ़-लिख गई है और समझ गई है कि क्या सही है और क्या गलत है तो वह इन सब बातों को बिलकुल नहीं मानेंगी जो सही नहीं है इसलिए उन्हें यह सब कहा जाता है।
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