ध्रूमपान चाहें लड़कियां हों या लड़के, सभी के लिए हानिकारक होता है। फिर लड़कियां करें तो चरित्रहीन लड़के करें तो संगत का असर क्यों कहा जाता है ? ये कोई अच्छी चीज तो है नहीं की इस पर भी लड़की लड़के में भेदभाव होता है। धूम्रपान करने वाली लड़कीयों की संख्या ग्रामीण भारत में न के बराबर होगी, तो वहीं शहरी स्तर पर कुछ परसेंट लड़कियां धूम्रपान करतीं हैं। लेकिन उन्हें समाज के सख्त नजरिए का सामना करना पड़ता है। समाज की नजरों में वो बहुत बुरी लड़कियों में गिनी जाती हैं।
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