योगी सरकार भुल गई गड्ढा मुक्त सड़को का वादा,कागजों तक सीमित आदेश
बांदा बुन्देलखण्ड| गांव का सड़क छोड़िए मेन रोडो़ पर चलना भी हुआ दुर्लभ उत्तर प्रदेश में 14 साल का वनवास काट कर सत्ता में लौटी भाजपा सरकार बनते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो महीने के अंदर गड्ढा मुक्त सड़कों का वादा किया था और आदेश भी जारी हुआ था, लेकिन बुन्देलखण्ड की सड़के आज तक गड्ढा मुक्त नहीं हो सकीं,मुख्यमंत्री का वादा और आदेश सब कागजों में सिमट कर रहे गया| अगर मैं बात करुं बांदा जिले की तो यहाँ पर सैकड़ों सड़के हैं जो गड्ढे में तब्दील हैं, जिससे लोगों की मुश्किले और भी बढ़ गई हैं| जैसे की उत्तर प्रदेश से मध्य प्रदेश को जोडने वाली दुरेडी़ सडक ,बांदा,महोबा मेन हाईवे से मोहनपुरवा मार्ग,जौहरपुर से बेंदाघाट और बम्बिया मेन मार्गो में बड़े-बड़े गड्ढे है और इस समय बारिश का मौसम है तो वह गड्ढे पूरी तरह जल मगन हैं| जिससे उन सड़को में यात्रा करने वाले लोगों को भारी दिक्कतों का समना करना पड़ रहा है|
इन सड़को पर चलना हो रहा दुर्लभ
बांदा जनपद में मेन रोडो़ के साथ-साथ तमाम ऐसी सड़के हैं जो बहुत ही जर्जर और खस्ता हाल हैं,उन सड़कों में लोगों का चलना दुर्लभ है और इन्ही जर्जर गड्ढे वाली सड़कों से आये दिन घटनाएं होती हैं| जैसे की अभी हाल ही में मैं एक कवरेज के लिए बांदा से सटें गांव करछा गई थी आटो बुक करके, लेकिन उस गांव जाने का सड़क इतनी जर्जर और गड्ढों में तब्दील था की आधे घंटे की रास्ता में डेढ घंटे लगे और मन ही मन डर रहे थे की इस तरह कि रास्ता में कहीं आटो खराब ना हो जाए तो हम लोग फंस जाऐ,लेकिन |
बड़ी मस्क्कत के बाद किसी तरह गांव पहुंचे वो भी खाली आटो लिए तो सोचिए की जो लोग उस सड़क से हमेशा चलते हैं उनका क्या हाल होगा और कैसे अपनी यात्रा पूरी कर पाते होंगे| क्योंकि उस रोड में खाई जैसे बड़े बड़े गड्ढे और गिट्टे है सड़क का नामों निशान नहीं दिख रहा,क्योंकि उस सड़क से रातो दिन बालू के भरे ओवर लोड ट्रक निकलते है, यही कारण है कि उस रोड में पड़ने वाले गांव के लिए साधन भी नहीं चलते और लगभग 10 किलो मीटर की दूरी लोग अपने खुद के साधन या पैदल यात्रा ही तय करते हैं|
वादों से नहीं भरता पेट लोगों को सुविधाएं जरुरी होती हैं
इसी तरह बांदा,महोबा मेन हाईव से अछरौण जाने वाली सड़क से यात्रा करने वाले बबलू,गुडिया और सियाराम का कहना है कि ये सड़क लगभग दो साल पहले ही बनी थी लेकिन आज कि देखता में ये सड़क गड्ढे में बदल गई है यहाँ से निकलना मुश्किल हो रहा है कई बार तो दो पहिया वाहन फिसल भी जाते हैं, क्योंकि काफी चलने वाला रोड और रोज का हजारों लोग निकलते हैं,यहां तक की इस रोड से मौदहा के लिए बस भी जाती है और यह एक तरह का शार्टकट बांदा से मौदहा वाला रास्ता है और बांदा से मौदहा तक सैकड़ों गांव पड़ते हैं,लेकिन इन गड्ढो का कोई सुधार नहीं है सरकार ने भले ही गड्ढा मुक्त के वादे किये हो पर उस वादे कि सच्चाई ये सड़कें अपने आप में बंया कर रही है|
कागजों में हो रहा गड्ढा मुक्त लोगों के लिए मुसिबत बनी सड़के
जौहरपुर से बेंदाघाट वाली सड़क लगभग तीन किलो मीटर है,जिसमें जगह जगह बड़े-बडे़ गड्ढे हैं ,उस सड़क से आने- जाने वाले राजेन्द्र और राजा बताते है की बेंदाघाट उनके यहाँ की बाजार है,इस लिए मार्केट करना हो या कोई अन्य काम लेकिन उनको इसी गड्ढा भरी रास्ता से निकलना पड़ता जिससे कई बार वह गिर जाते हैं और चोटे आ जाती है,क्योंकि गड्ढो में बारिश का पानी भरा होता है, तो समझ में नहीं आता की वह कितना गहरा होगा और साइकिल, मोटर साइकिल घुस जाती हैं साथ ही अगर वह लोग जा रहे हैं और पिछे से कोई बड़ी गाडी आ गई तो उनके पुरे कपडे़ भी खराब हो जाते हैं और आये दिन गाड़ी पंचड बनी रहती है| इस लिए वह लोग बहुत परेशान हैं पर क्या करें उसके अलवा दूसरा कोई रास्ता भी नहीं है तो निकलना भी मजबूरी है|
सरकार का गड्ढा मुक्त अभियान सुन कर जगी थी क्षेत्र के बदलाव की आश
नरैनी ब्लाक अन्तर्गत आने वाले पौहार गांव के सर्वेश त्रिपाठी और पुरुषोत्तम गुप्ता बताते है कि भाजपा की सरकार बनने के बाद गड्ढा मुक्त सड़कों का अभियान चलाया गया था| जिससे लोगों की आश जगी थी कि उनके क्षेत्र की बदहाल सड़कों का बदलाव होगा मार्ग ठीक होंगे और वे लोग सकुशल यात्रा कर सकेंगे मगर करीब साढे 3 साल बीत जाने के बाद भी नरैनी क्षेत्र के ऐसे लगभग 28 मुख्य मार्ग है, जो इस तरह गड्ढों में तब्दील हैं कि उनके गड्ढे गिनना नामुमकिन है| कुछ सड़कों की बदहाल स्थिति तो देख कर लगता है कि आखिर यहां कभी सड़क थी भी या नहीं|
हालांकि विधायक निधि से लगभग 3 करोड़ रुपये खर्च किए गये कुछ मार्गो का मरम्मती करण भी हुआ लेकिन मानक का ध्यान ना होने के कारण वह भी फिर से जर्जर हो गई हैं,इनमें से बदौसा पौहार मार्ग जिसकी लंबाई 14.6 किलोमीटर है और यह मुख्य मार्ग है इस मार्ग पर करीब पंचानवे लाख रुपये खर्च किए गये हैं,लेकिन हालत आज भी बद से बदतर है और इस गड्ढे भरे सड़क से निकलना मुश्किल है लोग बहुत ही परेशान हो रहे हैं और आए दिन घटनाओं का शिकार हो रहे हैं| इससे यह सड़के साफ दर्शा रही है कि सरकार का गड्ढा मुक्त अभियान कितना कामगार रहा सरकार ने आदेश तो दिया लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते यह सड़कें आज तक गड्ढा मुक्त नहीं हो सकी|
गड्ढों में तब्दील सड़कें अपने आप में सरकार पर एक सवाल खड़ा कर रही हैं
सवाल यह उठता है कि उत्तर प्रदेश में गड्ढा मुक्त सड़क कोई नई बात नहीं है साल 2017 में जब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आई तो योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनते ही कैबिनेट की दूसरी बैठक में यह ऐलान किया था कि 15 जून 2017 तक सड़के गड्ढा मुक्त होंगी, लेकिन आज 2020 चल रहा है पर सड़के अभी तक गड्ढा मुक्त नहीं हो सकीं और उन सड़को में चलने वाले लोगों को कितनी मशक्कत करनी पड़ रही है,ये बात किसी से छुपी नहीं है, इससे साफ पता चलता है कि सरकारे सिर्फ अपना उल्लू सीधा करने के लिए बड़े-बड़े वादे करती हैं,लेकिन वादों पर कितना खरी उतरी है, ये समय और काम खुद बता रहा है|