बड़े बुजुर्ग कह गए हैं, प्रकृति को जो दोगे, समय आने पर वह सूद समेत वापस कर देगी। यह होने लगा है। धान की बाली से दाना निकालने के बाद बचे पुआल जिसे पराली या कहीं पइरा भी कहते हैं को जलाने का नया रिवाज शुरू हो गया है। इससे वायुमण्डल में प्रदूषण के साथ ब्लैक कार्बन भी बढ़ता है जो ‘पृथ्वी के तापमान में वृद्धि भी बढ़ाता है।
जिला बांदा| उत्तर प्रदेश सरकार ने पराली जलाने के लिए बांदा और चित्रकूट सहित 26 राज्यों में रोक लगाई सरकार का मानना है कि दिल्ली में प्रदूषण की वजह से जो धुंध छाई रहती है| वहां हरियाणा और पंजाब में धान की पराली जलाने कि वजह से होती है|
जो बहुत ही हानिकारक है| इस लिए पराली जलाने वाले लोगो के ऊपर कारवाई होगी| इस मामले को लेकर किसानों का कहना है कि यहा पर इतनी ज्यादा धान की पराली नहीं जलाई जाती जिससे कि प्रदूषण फैलने रही बात दिल्ली की तो वहां पर धान की पराली से इतना प्रदूषण नहीं फैलता है मानते हैं कि कुछ परसेंट धान की पराली होगी लेकिन वहां ज्यादातर जो प्रदूषण होता है वह बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुंए गांव में रोज़ उठला कूड़ा के ज़हरीला धुआंऔर और बहनों के वजह से होता है लेकिन कुछ परसेंट असद पराली का माना जा सकता है
यहां पर जो स्थिति है कि ना तो उतनी ज्यादा पराली जलाई जाती है ना ही प्रदूषण फैलता है किसानों की मजबूरी यह है कि धान काटने के बाद उनको गेहूं की दूसरी फसल बोने पड़ती है और उसके लिए उनके पास समय नहीं होता है कि वह उसको वहीं पर छोड़ देता कि वह सड़ जाए इसलिए वह जलाते हैं| दूसरी बात यह भी है कि सरकार एक तरफ तो फेरारी जलाने के लिए रोक लगवा रही है लेकिन वहीं दूसरी तरफ मशीन रही हूं का इतना अविष्कार हो गया है कि लोग मशीनों से कटाई बुवाई करवाते हैं जो धान मशीनों से कटवाया जाता है
उसका पैरा खराब हो जाता है और उनको मजबूरी में जलाना पड़ता है अगर सरकार यही सब सोचती है तो उस पर को जिस तरह से जानवरों के लिए भूसा और चारे की दिक्कत होती है जो अन्ना होते हैं उस पैरेको लोगों को लगाकर कटवा के अपने अंडर में करवा सकती है जो अन्ना जानवरों के लिए हो उससे ना किसानों को दिक्कत होगी और ना सरकार को लेकिन सरकार तो किसानों को ही दोषी मानती है जिससे उनके ऊपर कार्यवाही या भी होती हैं लेकिन जिस तरह से कार्रवाई या होती हैं और अगर कोई भी किसान पराली जलाने के उसमें जेल गया तो वह आंदोलन शुरू कर देंगे| आम लोगों का कहना है कि धान की पराली से काफी प्रदूषण फैलता है लेकिन अन्य शहरों की जगह तो यहां अभी नहीं है फिर भी इसमें रोक लगना अच्छी बात है क्योंकि आने वाले समय में यह और भी खतरनाक हो सकता है जिससे कई तरह की बीमारियां और समस्याओं का सामना करना पड़ेगा इससे पर्यावरण बहुत ज्यादा प्रभावित होगा| इस मामले को लेकर अपर एसपी लाल भरत कुमार पाल का कहना है कि जो भी किसान इस तरह से पराली जला आएगा उसके ऊपर कार्यवाही की जाएगी यह आज से नहीं काफी दिनों से आदेश है कि पराली ना जलाई जाए जिससे पर्यावरण प्रभावित हो| उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि पराली जलाए जाने पर 2500 रुपये से लेकर 15,000 रुपये तक का जुर्माना लगाये जाने का और दोबारा ऐसा करने पर केस दर्ज करने का प्रावधान किया गया है. अब तक 50 किसानों से 1,30,500 रुपये की वसूली की जा चुकी है