खबर लहरिया Blog कोरोना: क्या है डेल्टा और Delta Plus वेरिएंट? Vaccine कितनी असरदार | Fact check

कोरोना: क्या है डेल्टा और Delta Plus वेरिएंट? Vaccine कितनी असरदार | Fact check

COVID-19: डेल्टा और Delta Plus वेरिएंट के साथ चिंता वाली बात क्या है?

SARS-CoV-2 कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट को पूरी दुनिया में खतरा माना जा रहा है. डेल्टा वेरिएंट को वैज्ञानिक भाषा में B.1.617.2 कहा गया है.

इसमें दो अलग वेरिएंट का म्यूटेशन शामिल हैं. इसे सबसे पहले भारत में पहचाना गया था और इसे डेल्टा वेरिएंट, ये नाम विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिया है. कई दूसरे देशों में भी डेल्टा वेरिएंट के मामले सामने आए हैं.

डेल्टा वेरिएंट के साथ चिंता वाली क्या बात है?

स्टडीज के मुताबिक ये अभी तक का सबसे ज्यादा संक्रामक वेरिएंट हो सकता है.

एक्सपर्ट्स का मानना ​​है कि यह यूके में पहली बार रिपोर्ट किए गए अल्फा वेरिएंट की तुलना में 40% से 50% अधिक संक्रामक है.

भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के तेजी से फैलने की अहम वजह डेल्टा वेरिएंट को माना गया है.

अब, डेल्टा वेरिएंट यूके में चिंता का कारण बन रहा है, जहां कोरोना के नए मामलों में 90% से ज्यादा मामले डेल्टा वेरिएंट के हैं. वहीं अमेरिका में कोरोना के नए मामलों में इसके 10% से ज्यादा मामले रिपोर्ट किए गए हैं.

दुनिया भर में 80 से अधिक देशों में डेल्टा वेरिएंट के मामलों का पता चला है.

डेल्टा वेरिएंट न सिर्फ ज्यादा संक्रामक है बल्कि रिसर्च ये भी बताते हैं कि इसके कारण हॉस्पिटल में एडमिट होने यानी गंभीर बीमारी होने का रिस्क भी बढ़ सकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डेल्टा वेरिएंट को वेरिएंट ऑफ कंसर्न बताया है.

कोरोना वेरिएंट पर वैक्सीन कितनी असरदार

कई स्टडीज से पता चलता है कि डेल्टा वेरिएंट में दूसरे वेरिएंट के मुकाबले वैक्सीन के लिए ज्यादा मजबूत प्रतिरोध है, लेकिन इस बात के भी सबूत हैं कि कोविड वैक्सीन इसके खिलाफ काम कर रही हैं.

हालिया रिसर्च से पता चला है कि फाइजर वैक्सीन की दो डोज अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में 96% प्रभावी रही, जबकि एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन 92% प्रभावी रही. शुरुआती स्टडीज से पता चला है कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन भी डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षा देती है.

इसलिए, लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लेने की जरूरत है.

इस बीच स्पुतनिक वैक्सीन की टीम ने ट्वीट किया कि स्पुतनिक वी किसी भी दूसरी वैक्सीन की तुलना में डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ अधिक प्रभावी रही, हालांकि ये नतीजे अभी कहीं पब्लिश नहीं हुए हैं.

कोरोना: डेल्टा वेरिएंट के बाद डेल्टा प्लस वेरिएंट

डेल्टा प्लस वेरिएंट को सबसे पहले इस साल मार्च में यूरोप में पहचाना गया.

डेल्टा प्लस वेरिएंट वाले मामले भारत सहित अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और दूसरे कई देशों में पाए गए हैं.

डेल्टा प्लस वेरिएंट को चिंता बढ़ाने वाला माना जा रहा है और केंद्र ने राज्यों से सतर्क रहने, इसे फैलने से रोकने, टेस्टिंग बढ़ाने और वैक्सीनेशन बढ़ाने जैसे जरूरी कदम उठाने को कहा है.

महाराष्ट्र में एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट राज्य को कोरोना की पहली और दूसरी लहर के मुकाबले ज्यादा प्रभावित कर सकता है.

वायरस में म्यूटेशन होते हैं और इसका कोई सटीक जवाब नहीं है कि इसमें आगे कितना बदलाव आएगा.

वैक्सीनेशन की रफ्तार धीरे-धीरे तेज हो रही है, लेकिन जब तक सब सेफ नहीं हो जाते, तब तक कोई सेफ नहीं है.

कोविड बहुत संक्रामक है, इसका डेल्टा वेरिएंट हो, डेल्टा प्लस या कोई और वेरिएंट हो, जरूरी ये है कि हम अपनी तरफ से कोई लापरवाही न करें.

 

यह श्रृंखला क्विंट हिंदी और ख़बर लहरिया पार्टनरशिप का अंश है। लेख क्विंट द्वारा लिखा और रिसर्च किया गया है। 

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